बुधवार, 18 मई 2011

मुहम्मद सल्ल0 हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में (2)

पिछले पोस्ट में हमने वेदों में मुहम्मद साहब की आगमण की भविष्यवाणी का वर्णन किया था अब हम पुराणों में मुहम्मद सल्ल0 की आगमण का प्रमाण पेश कर रहे हैं:

पुराणों के प्रमाण:
भविष्य पुराण में इस प्रकार आया हैः" हमारे लोगों का खतना होगा, वे शीखाहीन होंगें, वे दाढ़ी रखेंगे, ऊँचे स्वर में आलाप करेंगे यानी अज़ान देंगे, शाकाबारी मांसाहारी (दोनों) होंगे, किन्तु उनके लिए बिना कौल अर्थात् मंत्र से पवित्र किए बिना कोई पशु भक्ष्य (खाने) योग्य नहीं होगा (वह हलाल मास खाएंगे) , इस प्रकार हमारे मत के अनुसार हमारे अनुवाइयों का मुस्लिम संस्कार होगा। उन्हीं से मुसलवन्त अर्थात् निष्ठावानों का धर्म फैलेगा और ऐसा मेरे कहने से पैशीत धर्न का अंत होगा।" [भविष्य पुराण पर्व3 खण्ड3 अध्याय1 श्लोक 25, 26, 27 ]
भविष्य-पुराण के अनुसार "शालिवाहन (सात वाहन) वंशी राजा भोज दिग्विजय करता हुआ समुद्रपार (अरब) पहुंचे तथा (उच्च कोटि के) आचार्य शिष्यों से घिरे हुए महामद (मुहम्मद सल्ल0) नाम के विख्यात आचार्य को देखा।" [ प्रतिसर्ग पर्व 3, अध्याय 3, खंड 3 कलियुगीतिहास समुच्चय]
संग्राम-पुराण में गोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं:

तब तक सुन्दर मद्दिकोया।

बिना महामद पार न होया।

अर्थात् " जब तक सुन्दर वाणी (क़ुरआन) धरती पर रहेगी उसके और महामद ( मुहम्मद सल्ल0) के बिना मुक्ति न मिलेगी।"

संग्राम-पुराण, स्कन्द 12, कांड 6 पद्दानुवाद: गोस्वामी तुलसी दास)

कल्की अवतार का स्थानः

अन्तिम संदेष्टा की आगमण के सम्बन्ध में पुराणों में बताया गया है कि जिस युग के युद्ध में तलवार तथा सवारी में घोड़ा का प्रयोग होगा ऐसे ही ऐसे ही युग में अन्तिम संदेष्टा की आगमण होगी। बल्कि कल्कि पुराण में अन्तिम संदेष्टा के जन्म-तिथि का भी उल्लेख किया गया है:

" जिसके जन्म लेने से मानवता का कल्यान होगा, उसका जन्म मधुमास के शुम्भल पक्ष और रबी फसल में चंद्रमा की 12वीं तिथी को होगा।"[ कल्कि पुराण 2:15 ]

मुहम्मद सल्ल0 का जन्म भी 12 रबीउल अव्वल को हुआ, रबीउल-अव्वल का अर्थ हाता है मधवमास का हर्षोल्लास का महीना।

श्रीमद भगवद महापुराण में कल्कि अवतार के माता पिता का वर्णन करते हुए कहा गया है:

शम्भले विष्णु पशसो ग्रहे प्रादुर्भवाम्यहम।

सुमत्यांमार्तार विभो पत्नियाँ न्नर्दशतः।।

अनुवाद: " सुनो! शम्भल शहर में विष्णु-यश के यहाँ उनकी पत्नी सुमत्री के गर्भ से पैदा होगा।" [ कल्कि अवतार अध्याय2 श्लोक1]

इस श्लोक में अवतार का जन्म स्थान शम्भल बताया गया है, शम्भल का शाब्दिक अर्थ है " शान्ति का स्थान" और मक्का जहाँ मुहम्मद सल्ल0 पैदा हुए उसे अरबी में "दारुल-अम्न" कहा जाता है। जिसका अर्थ " शान्ति का घर" होता है। विष्णुयश कल्कि के पिता का नाम बताया गया है और मुहम्मद सल्ल0 के पिता का नाम अब्दुल्लाह था और जो अर्थ विष्णुयश का होता है वही अर्थ अब्दुल्लाह का होता है। विष्णु अर्थात् अल्लाह और यश अर्थात् बन्दा, यानी "अल्लाह का बन्दा।" (अब्दुल्लाह) ।

उसी प्रकार कल्कि की माता का नाम "सुमति" ( सोमवती) आया है जिसका अर्थ होता है: " शान्ति एवं मननशील स्वभाव वाली" और मुहम्मद सल्ल0 की माता का नाम भी "आमना" था जिसका अर्थ है: " शान्ति वाली।"

कल्कि अवतार की प्रमुख विशेषताएं

(1) जगत्पतिः अर्थात् संसार की रक्षा करने वाला। भगवत पुराण द्वादश स्कंध,द्वीतीय अध्याय,19वें श्लोक में कल्कि अवतार को जगत्पति कहा गया है। और वास्तव में मुहम्मद सल्ल0 जगत्पति हैं। क़ुरआन ने मुहम्मद सल्ल0 को "सम्पूर्ण संसार हेतु दयालुता" (सूरःअल-अम्बिया107) की उपाधि दी है। एक दूसरे स्थान पर क़ुरआन कहता है "हमने तुमको सभी इंसानों के लिए शुभसूचना सुनाने वाला और सचेत करने वाला बना कर भेजा है। " (सूरः सबा आयत 28)

(2) चार भाइयों के सहयोग से युक्त

कल्कि पुराण (2/5) के अनुसार चार भाईयों के साथ कल्कि कलि ( शैतान) का निवारण करेंगे। मुहम्मद सल्ल0 ने भी चार साथियों के साथ शैतान का नाश किया था। यह चार साथी थे अबू बक्र रज़ि0, उमर रज़ि0, उस्मान रज़ि0 और अली रज़ि0।

(3) शरीर से सुगन्ध का निकलना

कल्कि पूराण (द्वादश स्कंध, द्वितीय अध्याय, 21वाँ श्लोक) में भविष्यवाणी की गई है कि कल्कि के शरीर से ऐसी सुगन्ध निकलेगी जिस से लोगों के मन निर्मल हो जाएंगे। और मुहम्मद सल्ल0 के शरीर की खूशबू बहुत प्रसिद्ध है, आप जिस से हाथ मिलाते थे उसके हाथ से दिन भर सुगन्ध आती रहती थी।

(शेष अगले पोस्ट में)

13 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सुमति क अर्थ है अछे विचार वाली और कल्कि अव्तार भविश्य मे होगा हुआ नही है
और आप लोग कब से हिन्दु धर्म ग्रंथ को मान्ने लगे हू ?

Safat Alam Taimi ने कहा…

इस सम्बन्ध में उचित होगा कि आप डा0 वेद प्रकाश उपाध्याय की पुस्तक (नराशंस और अन्तिम ऋषि) औऱ डा0 एम ए श्री वास्तव की पुस्तक(हज़रत मुहम्मद सल्ल0 और भारतीय धर्म ग्रन्थ) का अध्ययन करें। देखिए सत्य एक इनसान का धरोहर होता है। उसका सम्बन्ध किसी जाति अथवा वंश से नहीं होता। औऱ वह व्यक्ति कदापि सत्य को नहीं पा सकता जो सत्य के रास्ते में पूर्वजों के रीति रिवाज को देखता हो।

बेनामी ने कहा…

Imam Mehboob Ali ko jaante ho?

Jara uske bare mein padho, jo aaj Pandit Mahendra Pal Arya ke naam se jane jate hain..

Safat Alam Taimi ने कहा…

प्यारे भाई ! हम आपकी बात से सहमत हैं कि एक व्यक्ति हिन्दू बन सकता है परन्तु मुसलमान किसी सूरत में अन्य धर्म को नहीं अपना सकता। क्योंकि उसके पास सत्य है। हाँ जो व्यक्ति मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ और उसके पास इस्लाम का कोई ज्ञान नहीं वही इस्लाम से फिर सकता है। तो असल में वह मुस्लिम बना ही नहीं।

क्योंकि इस्लाम ही तो मानव का धर्म है। वह अपने पैदा करने वाले को भूल कर मूर्ति के समक्ष सर क्यों टेकेगा।

बेनामी ने कहा…

islam dharm nahi deen hai. deen ka english mein matlab religion aur hindi mein arth sampraday hota hai.. dharm shabd sirf sanskrit mein aya hai jiska matlab isnan ke liye jeewan ka sahee tareka. Duniya mein sabka dharm ek hi hai vo hai Sanatan dharm. Baki sampraday bahut se hain, jaise hindu, islam, christian adi.. Sanatan dharm ki mool postak Ved hai aur usmein kahin bhi moorti pooja ka ullekh nahi. Hindu, jo ki sanatan dharm ki ek shakha hai vo mool pustak ke alawa ramanyan, puran adi ko bhi dharm granth maante hain jabki vo hamar itihas matr hai.. hain to aap bhi sanatan dharmi lekin path bhrast ho chuke hain..

Safat Alam Taimi ने कहा…

क़ुरआन कहता है (सूरहः3 आयत 19) " निःसंदेह अल्लाह के निकट सत्य धर्म मात्र इस्लाम है" इस्लाम अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ शान्ति और आत्म समर्पण के होते हैं। औऱ अल्लाह ने हर युग में अपने संदेष्टाओं को भेजा तो उन्होंने अपनी अपनी भाषा में इस्लाम को ही परिचय कराया। सनातन धर्म भी इस्लाम ही का नाम है जिसकी पहचान यह है कि इसमें मात्र एक अल्लाह की पूजा की जाती है। और मूर्तिपूजा का खंडन किया जाता है।
क़ुरआन की शिक्षाओं का यही सार है कि मात्र एक अल्लाह की पूजा की जाए जो सारे संसार का सृष्टिकर्ता है मात्र मुसलमानों का नहीं। इसी लिए मुसलमान चाहे किसी भी देश अथवा समुदाय से सम्बन्ध रखते हों वह इस्लाम को अपनी धरोहर समक्ष सकते हैं परन्तु अन्य धर्मों में मानव को सब कुछ समक्षा जाता है।
इस्लाम ने तो इस बात की भी अनुमति नहीं दी कि मुहम्मद सल्ल0 को पूज्य समक्षा जाए।

बेनामी ने कहा…

agar muhammad ki pooja nahi ki jati to islam qabool karne se pahle allah ke saath saath muhammad par iman lana kyon jaroori hai.. main kahta hoon la ilahi illallah.. lekin muhammadur rasool allah kahna kyon jaroori hai.. yahan to allah se jyada rasool ki chalti hai.. kya koi sirf allah par iman la kar musalman nahi ho sakta? mohammad ko rasool maanana kyon jaroori hai?

اداره ने कहा…

बड़ा अच्छा प्रश्न किया आपने इसके उत्तर पर ज़रा ध्यना दीजिएः
देखिए! अल्लाह ने मानव को पैदा किया तो उसे इस संसार में परिक्षा हेतु बसाया और इसी उद्देश्य से अवगत कराने के लिए हर युग में संदेष्टा आते रहे जिनका अन्तिम क्रम मुहम्मद सल्ल0 पर समाप्त हो गाय। स्वयं सोचिए कि एक व्यक्ति जब यह स्वीकार करता है कि वह मात्र एक अल्लाह की पूजा करेगा और उसकी पूजा में किसी अन्य को भागीदार न ठहराएगा तो सर्वप्रथम यह प्रश्न पैदा होता है कि अल्लाह की पूजा कैसे होगी? इसी का उत्तर दूसरे भाग में है कि " हम अल्लाह की पूजा मुहम्मद साहब के बताए हुए नियमानुसार करेंगे" कि अल्लाह की पूजा के नियम को जानने का उसके अतिरिक्त कोई दूसरा आधार नहीं।
अधिक जानकारी हेतु नवीन पोस्ट को पढें। धन्यवाद

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

Apne bhavisya puran ki jankari ko galat tarike se prastut kia hai.... Bhavisya puran me Mohammamad ka jikra ayaa hai lekin Mohammad Malecha ki vyakhya di gai hai.... aap bhavisya puran ka vistrat adhyan kare...

Unknown ने कहा…

बेशक कल्की अवतार ही मुहँमद अलैयहीस्सलाम है

द्वारका प्रसाद पारीक ने कहा…

सु = अच्छी मति = बुद्धि
ज़ाकिर नाईक गलत बताते है साफ साफ लिखा है कि राजा भोज ने भगवान शिव कीपूजा की और वहां शिव मंदिर भी था और भाई बोलते है कि मोहम्द की पूजा की

द्वारका प्रसाद पारीक ने कहा…

मलेच्छ का मतलब कोनसी भाषा में परदेशी होता है बताएं ?