प्रिय दोस्तो ! हमने पिछले पोस्टों में क़ुरआन की कुछ विशेषताओं का अल्लेख किया है वास्तव में क़ुरआन मानव के लिए अवतरित हुआ है जिसके संदेश से परिचित होना हर व्यक्ति का काम है। इसी उद्देश्य के अन्तर्गत निम्न में हम अन्य कुछ विशेषताएं प्रस्तुत कर रहे हैं।
क़ुरआन की शिक्षाएं हर युग के लिए:
क़ुरआन एक ऐसा ग्रन्थ है जिसकी शिक्षाएं हर युग के लोगों के सिए समान रूप में व्यवहारिक आदर्श हैं इसी लिए वह अपने लाए हुए धर्म को "व्यवहारिक धर्म" ( सूरः 30 मंत्र 30 ) के नाम से मानव के सामने प्रस्तुत करता है। एक दूसरे स्थान पर क़ुरआन में हैः " वास्तव में यह क़ुरआन वह मार्ग दिखाता है जो सब से सीधा है" (सूरः 17 मंत्र 9 ) -
आज के इस आधुनिक युग में यदि कोई नियम पूर्ण रूप में लाभदायक हो सकता है तो वह क़ुरआनी नियम है। क़ुरआन नें शराब पर प्रतिबन्ध लगाया, महिलाओं को पर्दा करने का आदेश दिया, ब्याज को अवैध ठहराया, व्यभिचार को समाज के लिए घृणित कार्य बताया- तात्पर्य यह कि हर अच्छे काम का आदेश दिया और हर बुरे काम से रोका। विदित है कि इन्हीं बुराइयों के फैलने के कारण हमारा समाज खराब होता जा रहा है। इन बुराइयों का खंडन करने की आवश्यकता हर युग में रही है और रहेगी।
जीवित भाषा:
क़ुरआन जिस भाषा में उतारा वह एक जीवित भाषा है। मुस्लिम देशों के अतिरिक्त संसार के सभी देशों में न केवल इस भाषा का प्रचलन है अपितु यह जीवित और शिक्षा का माध्यम है और यह विशेषता मात्र क़ुरआन की है। बाईबल तथा वेद आदि की भाषा अब संसार के किसी क्षेत्र अथवा भाग में प्रयोग नही होती।
सब से अधिक पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ:
क़ुरआन संसार में सब से अधिक पढ़ा जाने वाला ग्रन्थ है और लाखों की संख्या में लोगों ने उसे कंठस्थ कर रखा है। छोटे छोटे बच्चे दो चार वर्ष में क़ुरआन को कंठस्थ कर लेते हैं। मुसलमानों में बहुत कम ऐसे लोग हैं जो क़ुरआन पढ़ना न जानते हों जब कि संस्कृत भाषा में ग्रन्थ पढने वाले आज दाल में नमक के समान हैं।
संरक्षक ग्रन्थ:
पवित्र क़ुरआन के अनुसार ईश्वर का भेजा हुआ धर्म शुरू से एक ही रहा है। परन्तु लोगों ने उसमें अपने स्वार्थ के लिए परिवर्तन कर दिया। इस लिए आज अन्य धर्म ग्रन्थों की वास्तविक शिक्षाएं भी पवित्र ग्रन्थ से ही मालूम हो सकती हैं। क़ुरआन में है " हे पैगम्बर! हमने सच्चाई के साथ तुम पर क़ुरआन को अवतरित किया है जो अपने से पूर्व ग्रन्थों की पुष्टि करने वाला है तथा उनका रक्षक भी है। " ( सूरः 5 आयत 48)
अर्थात पिछले ग्रन्थों के मूल संदेश पर मिलावटों और परिवर्तनों के जो पर्दे डाल दिए गए हैं उन्हें क़ुरआन हटा देता है और उनकी मूल शिक्षाओं का निर्धारण कर देता है।
अन्तिम ग्रन्थ :
ईश्वर ने संदेष्टाओं का क्रम मुहम्मद सल्ल0 पर बन्द किया तो क़ुरआन को भी फाइनल अथार्टी ( Final Authority) के रूप में अवतरित किया। क़ुरआन अपने लाने वाले संदेष्टा के सम्बन्ध में कहता है: " बल्कि व ईश्वर के संदेष्टा और नबियों के समापक ( अन्तिम संदेष्टा ) हैं।'' ( सूरः 33 आयत 40 )
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