क़ुरआन हर पहलू से एक पूर्ण मार्गदर्शन है इसमें मनुष्य के विचार और व्यवहार, बाहरी और आन्तरिक, व्यक्तिगत और सामुहिक, राष्ट्रीयय और अंतर्राष्ट्रीय अर्थात जीवन के एक एक अंग के सम्बन्ध में आदेश मौजूद है। इस्लामी शिक्षाओं के दो भाग हैं (1) मानव के अधिकार (2) ईश्वर के अधिकार। मानव के अधिकार में मानव जाति के पारस्परिक सम्बन्ध तथा आचरण व्यवहार शामिल हैं जबकि ईश्वर के अधिकार में आस्थाएं और उपासनाएं आती हैं। पवित्र क़ुरआन इन सारी शिक्षाओं पर प्रकाश डालता हैः क़ुरआन में एक स्थान पर ईश्वर का कथन हैः "आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारे धर्म को पूर्ण कर दिया और तुम पर अपना उपकार पूरा कर दिया" (सूरः 5 आयत 3)
प्रोफेसर हरबर्ट वाईल कहते हैं : "क़ुरआन एक पूर्ण जीवन व्यवस्था है, यदि एक व्यक्ति उसकी शिक्षाओं को अपने जीवन में व्यवह्रत कर ले तो वह आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन के उच्च शिखर पर पहुंत सकता है।"
प्रोफेसर हरबर्ट वाईल कहते हैं : "क़ुरआन एक पूर्ण जीवन व्यवस्था है, यदि एक व्यक्ति उसकी शिक्षाओं को अपने जीवन में व्यवह्रत कर ले तो वह आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन के उच्च शिखर पर पहुंत सकता है।"
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