मंगलवार, 9 जुलाई 2019

ट्विट्स संग्रह (1)



1- मुसलमान वह समुदाय है जिसने हर ज़माने में नफरत का जवाब प्रेम से दिया है। पूरी इंसानी तारीख़ इस पर गवाह है। इस लिए नफरत का जवाब हमेशा मोहब्बत से दीजिए आपका दुश्मन दोस्त बन जायेगा। कुरआन कहता है:

" तुम (बुरे आचरण की बुराई को) अच्छे से अच्छे आचरण द्वारा दूर करो। फिर क्या देखोगे कि वही व्यक्ति तुम्हारे और जिसके बीच दुश्मनी थी, वह जैसे कोई जिगरी दोस्त बन गया है।" ( सूरः फुस्सिलतः 34)
एक सामान्य व्यक्ति मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पवित्र जीवनी का अध्ययन करके भली भांति इस तथ्य का अनुभव कर सकता है कि जिन लोगों ने विश्व नायक मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को 21 वर्ष तक अपना दुश्मन समझा था जब आप को पहचान गए तो बड़े लज्जित हुए, आपके अनुयाई बन गए और आपके संदेश का दुनिया वालों के सामने परिचय कराया।


2- सत्य और असत्य के बीच युद्ध कोई नई बात नहीं, हर युग में असत्य ने सत्य को दबाने की कोशिश की है परन्तु कभी उसकी जीत न हुई, इस जंग में सत्य को कभी चोटें खाना पड़ी हैं, कष्ट झेलना पड़ा है पर सत्य हारा नहीं हमेशा ग़लिब रहा है और महाप्रलय के दिन तक ग़ालिब रहेगा। इस सच्चाई पर सम्पूर्ण मानव इतिहास साक्षी है। क़ुरआन ने कहाः

" कह दो, सत्य आ गया और असत्य मिट गया; असत्य तो मिट जाने वाला ही होता है।" ( सूरः अलइस्राः 81) " फिर जो झाग है वह तो सूख कर नष्ट हो जाता है और जो कुछ लोगों को लाभ पहुँचाने वाला होता है, वह धरती में ठहर जाता है।" (सूरः अल-रादः17)


3- ज़ुल्म चाहे किसी पर हो घोर पाप है, ज़ालिम देर या सवेर ज़ुल्म का परिणाम पा कर रहता है, इस लिए अपनी ताक़त, अपने धन, अपने पद और अपनी जाति के नशे में चूर हो कर किसी पर ज़ुल्म मत कीजिए और न ज़ालिम का साथ दीजिए कि ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है बढ़ता है तो मिट जाता है। विश्व नायक ने कहाः 
"मज़्लूम की शाप चिंगारियों के समान आसमान पर जाती है।" ( सहीहुल जामेः118) 

आपने यह भी कहाः 
मज़लूम के शाप से डरते रहना, कि इसके और अल्लाह के बीच कोई पर्दा नहीं। (सही बुख़ारीः 2448)


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