रविवार, 17 नवंबर 2019

*मेरा प्रोजेक्ट - मेरी संतान है*


जब मैं नफिल नमाज़ों की अदायगी में कोताही करता हूं तो अपनी संतान और दुनिया के संकटों को याद करता हूं और अल्लाह तआला के इस आदेश पर चिंतन मनन करने लग जाता हूं:
"और उन दोनों के बाप नेक थे"
अतः मैं उन पर दया करता हूं और कोशिश में लग जाता हूं।

आपका सफलतापूर्वक प्रोजेक्ट आपकी संतान है और इस प्रोजेक्ट की सफलता हेतु अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबी हजरत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रजियल्लाहु अन्हु के बताए हुए तरीके का अनुसरण करें जबकि वह एक रात नमाज़ पढ़ रहे थे और उनका छोटा बेटा सो रहा था, उसकी तरफ देखकर कहने लगे:
" तेरे लिए ऐ मेरे बेटे! और अल्लाह के इस आदेश की तिलावत करते हुए रोने लगे:
"और उन दोनों के बाप नेक थे"
 सईद बिन मुसैइब रहमतुल्लाहि अलैह के बारे में आता है कि जब कभी भी रात में क्याम करने का इरादा करते तो अपने बेटे की तरफ देखते और कहते:
" मैं अपनी नमाज में ज्यादती करता हूं ताकि अल्लाह तुझे दुरुस्त कर दे और तेरी सुरक्षा करे, फिर रोने लगते और अल्लाह तआला के इस आदेश की तिलावत करते:
"और उन दोनों के बाप नेक थे"
 जी हां! यह जादुई तरकीब है जिसे इख्तियार करके हम अपने बच्चों को नेक और अच्छा बना सकते हैं। अगर बाप रोल मॉडल और नेक हो और उसका संबंध अपने रब के साथ मजबूत हो तो अल्लाह तआला उसकी संतान की सुरक्षा करता बल्कि उसके पोतों और पोतियों की भी सुरक्षा करता है जैसा कि अल्लाह तआला ने सूर: अल-कहफ में दादा के नेक होने की वजह से बाप के जमा किए हुए खजाने की हिफाजत की ताकि दो यतीम बच्चों के काम आ सके।
इस संदर्भ में मुझे एक किस्सा याद आ रहा है कुवैत के एक विद्वान हैं, ऊंचे पद पर हैं और बहुत सारी सरकारी संस्थाओं में काम करते हैं लेकिन उसके बावजूद हर दिन अपना कुछ समय वेलफेयर के कामों के लिए भी निकालते हैं मैंने एक दिन उनसे पूछा आप ऊंचे पद पर आसीन हैं आप अपनी सरगर्मियां सरकारी कामों में क्यों नहीं लगाते? उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा: आज मैं चाहता हूं कि तुम्हारे सामने अपने दिल का राज जाहिर कर दूं, मेरे पास 6 से ज्यादा संतान है अधिकतर उनमें लडके हैं और उनके बिगाड़ का मुझे भय लगा रहता है क्योंकि उनके प्रशिक्षण में मुझसे कोताही होती है लेकिन मैंने अल्लाह ताला की अपने ऊपर यह नेमत देखी कि मैं जितना अपना समय अपने रब के लिए देता हूं अल्लाह तआला उतना ही मेरी संतान को ठीक करता है।"

यह संदेश माता-पिता और संतानों को भेजिए

(डा. नबील अल-अवज़ी)

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