हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वह क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
वह क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
वास्तविकता यह है कि हम सदैव नकारात्मक सोचते हैं जिसका परिणाम है कि हमारे देश में धृणा फैल रही है। हमारा ज्ञान एक दूसरे के प्रित सुनी सुनाई बातों दोषपूर्ण-विचार तथा काल्पनिक वृत्तानतों पर आधारित है।
भई! इस्लाम तो सारे मानव का धर्म है बल्कि यह सनातन धर्म है इसी के अन्तिम दूत कल्कि अवतार हैं। जब तक इस्लाम का सकारात्मक अध्ययन न होगा हमारे हृदय से घृणा भाव समाप्त नहीं हो सकती। इसी उद्देश्य के अंतर्गत हमने इस्लाम के सकारात्मक परिचय का प्रयास किया है। हमारी आशा है कि हमारे देशवासी विशाल हृदय से इस्लाम का अध्ययन करें।
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