सोमवार, 27 अप्रैल 2009

प्रेमवाणी

हमने यह ब्लौग जिस उद्देश्य के अंतर्गत आरम्भ किया है वह बड़ा स्वच्छ और और शुद्ध है। मेरी इन बातों को जो प्रेमवाणी है, आप प्रेम की आँखों से देखें और पढें। उस मालिक के लिए जो सारे संसार को चलाने और बनाने वाला है ग़ौर करें ताकि मेरे दिल और आत्मा को शांति प्राप्त हो, कि मैंने अपने भाई या बहिन की धरोहर उस तक पहुँचाई, और अपने इंसान होने का कर्तव्य पूरा कर दिया।इस संसार में आने के बाद एक मनुष्य के लिए जिस सत्य को जानना और मानना आवश्यक है और जो उसका सबसे बड़ा उत्तरदायित्व और कर्तव्य है वह प्रेमवाणी मैं आपको सुनाना चाहता हूँ । परन्तु यह भी वास्तविकता है कि आम तौर पर पूर्वजों के रीति रिवाज इस रास्ते में बाधित बनते हैं। हालांकि सत्य इनसान का धरोहर होता है उसका सम्बन्ध किसी जाति अवथा वर्ग से नहीं होता।

भारत के एक महान विद्वान तथा लेखक मुहम्मद क़लीम सिद्दिक़ी ने अपनी पुस्किता "आपकी अमानत आपकी सेवा में " की भूमिका में बड़ी पते की बात कही है। "मुझे क्षमा करना" के विषय के अंतर्गत कहते हैं:
''मेरे प्रिय पाठकों! मुझे क्षमा करना, मैं अपनी और अपनी तमाम मुस्लिम बिरादरी की ओर से आप से क्षमा और माफ़ी माँगता हूँ जिसने मानव जगत के सब से बड़े शैतान (राक्षस) के बहकावे में आकर आपकी सबसे बड़ी दौलत आप तक नहीं पहुँचाई उस शैतान ने पाप की जगह पापी की घृणा दिल में बैठाकर इस पूरे संसार को युद्ध का मैदान बना दिया। इस ग़लती का विचार करके ही मैंने आज क़लम उठाया है कि आप का अधिकार (हक़) आप तक पहुँचाऊँ और निःस्वार्थ होकर प्रेम और मानवता की बातें आपसे कहूँ।वह सच्चा मालिक जो दिलों के भेद जानता है, गवाह है कि इन पृष्ठों को आप तक पहुँचाने में मैं निःस्वार्थ हूँ और सच्ची हमदर्दी का हक़ अदा करना चाहता हूँ। इन बातों को आप तक न पहुँचा पाने के ग़म में कितनी रातों की मेरी नींद उड़ी है। आप के पास एक दिल है उस से पूछ लीजिये, वह बिल्कुल सच्चा होता "

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