बुधवार, 30 सितंबर 2009

इस्लाम नया धर्म नहीं क्या मतलब ?

अगर हम कहते हैं कि इस्लाम नया धर्म नहीं तो इसका अर्थ यह है कि इस्लाम का कोई मानव संस्थापक नहीं जैसा कि अन्य धर्मों का है, उदाहरणस्वरूप बुद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध हैं, सिख धर्म के संस्थापक गुरूनानक हैं, जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी हैं, हिन्दू धर्म भी अपने गुरूओं का धर्म कहलाता है जबकि इस्लाम का संस्थापक कोई मानव नहीं। इसका अर्थ ही होता है एक ईश्वर के समक्ष पूर्ण समर्पण।
अधिकांश लोग इसी तथ्य को न समझ सके जिसके कारण यह कहने लगे कि इस्लाम मुहम्मद सल्ल0 का लाया हुआ धर्म है अथवा एक नया धर्म है। हालांकि हर मुसलमान यह जानता मानता तथा इस बात पर आस्था रखता है कि मुहम्मद सल्ल0 इस्लाम के संस्थापक नहीं बल्कि उसको अन्तिम स्वरूप देने वाले हैं। ऐसा ही जैसा किसी एक देश में भारत का राजदूत भेजा जाता है तो राजदूत को अपने आदेश का पालन कराने का अधिकार उस समय तक रहता है जब तक अपने पद पर आसीन रहे। जब दो साल की अवधि गुज़रने के बाद दूसरा राजदूत आ जाए तो पहला राजदूत अपना आदेश नहीं चला सकता क्योंकि उसकी कार्य-अवधि समाप्त हो चुकी, ऐसा ही ईश्वर ने मानव को पैदा किया तो जिस प्रकार कोई कम्पनी जब कोई सामान तैयार करती हैं तो उसके प्रयोग का नियम भी बताती है उसी प्रकार ईश्वर ने मानव को संसार में बसाया तो अपने बसाने के उद्देश्य से अवगत करने के लिए हर युग में मानव ही में से कुछ पवित्र लोगों का चयन किया ताकि वह मानव मार्गदर्शन कर सकें वह हर देश और हर युग में भेजे गए उनकी संख्या एक लाख चौबीस हज़ार तक पहुंचती हैं, वह अपने समाज के श्रेष्ट लोगों में से होते थे, तथा हर प्रकार के दोषों से मुक्त होते थे। उन सब का संदेश एक ही था कि केवल एक ईश्वर की पूजा की जाए, मुर्ती पूजा से बचा जाए तथा सारे मानव समान हैं उनमें जाति अथवा वंश के आधार पर कोई भेदभाव नहीं क्यों कि उनकी रचना एक ही ईश्वर ने की है।
सारे मानव का मूलवंश एक ही पुरूष तक पहुंचता है ( अर्थात् आदि पुरुष जिनको कुछ लोग मनु और शतरोपा कहते हैं तो कुछ लोग आदम और हव्वा, उनका जो धर्म था उसी को हम इस्लाम कहते हैं ) परन्तु उनका संदेश उन्हीं की जाति तक सीमित होता था क्योंकि मानव ने इतनी प्रगति न की थी तथा एक देश का दूसरे देशों से सम्बन्ध नहीं था। उनके समर्थन के लिए उनको कुछ चमत्कारियां भी दी जाती थीं, जैसे मुर्दे को जीवित कर देना, अंधे की आँखों का सही कर देना, चाँद को दो टूकड़े कर देना
परन्तु यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि पहले तो लोगों ने उन्हें ईश्दूत मानने से इनकार किया कि वह तो हमारे ही जैसा शरीर रखने वाले हैं फिर जब उनमें असाधारण गुण देख कर उन पर श्रृद्धा भरी नज़र डाला तो किसी समूह ने उन्हें ईश्वर का अवतार मान लिया तो किसी ने उन्हें ईश्वर की संतान मान कर उन्हीं की पूजा आरम्भ कर दी। उदाहरण स्वरूप गौतम बुद्ध को देखिए बौद्ध मत के गहरे अध्ययन से केवल इतना पता चलता हैं कि उन्होंने ब्रह्मणवाद की बहुत सी ग़लतियों की सुधार किया था तथा विभिन्न पूज्यों का खंडन किया था परन्तु उनकी मृत्यु के एक शताब्दी भी न गुज़री थी कि वैशाली की सभा में उनके अनुयाइयों ने उनकी सारी शिक्षाओं को बदल डाला और बुद्ध के नाम से ऐसे विश्वास नियत किए जिसमें ईश्वर का कहीं भी कोई वजूद नहीं था। फिर तीन चार शताब्दियों के भीतर बौद्ध धर्म के पंडितों ने कश्मीर में आयोजित एक सभा में उन्हें ईश्वर का अवतार मान लिया।
बुद्धि की दुर्बलता कहिए कि जिन संदेष्टाओं नें मानव को एक ईश्वर की ओर बोलाया था उन्हीं को ईश्वर का रूप दे दिया गया।
इसे यूं समझिए कि कोई पत्रवाहक यदि पत्र ले कर किसी के पास जाए तो उसका कर्तव्य बनता है कि पत्र को पढ़े ताकि अपने पिता का संदेश पा सके पर यदि वह पत्रवाहक को ही पिता समझने लगे और उसी का आदर सम्मान शुरू कर दे तो इसे क्या नाम दिया जाएगा,आप स्वयं समझ सकते हैं।

जब सातवी शताब्दी में मानव बुद्धि प्रगति कर गई और एक देश का दूसरे देशों से सम्बन्ध बढ़ने लगा को ईश्वर ने अलग अलग हर देश में संदेश भेजने के नियम को समाप्त करते हुए विश्वनायक का चयन किया। जिन्हें हम मुहम्मद सल्ल0 कहते हैं, उनके पश्चात कोई संदेष्टा आने वाला नहीं है, ईश्वर ने अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 को सम्पूर्ण मानव जाति का मार्गदर्शक बना कर भेजा और आप पर अन्तिम ग्रन्थ क़ुरआन अवतरित किया जिसका संदेश सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है । उनके समान धरते ने न किसी को देखा न देख सकती है। वही कल्कि अवतार हैं जिनकी हिन्दुसमाज में आज प्रतीक्षा हो रही है।

4 टिप्‍पणियां:

Mohammed Umar Kairanvi ने कहा…

bhot achha likha josh bhi mujhe pasand aaya, allah sabko hidayat de... bhot dinon baad hazri lagi maam kariyega...kiya karoon masroof tha aapko pata hi he.kahan masroof hoon.

bhai yeh side men laga widget
quran aur kairanvi nahin likh sakta aap jante hen? kehne ka matlab ooper ki charon widget neeche karlo insha allah nateeja achha rahega.

Saleem Khan ने कहा…

sahi kaha aapne !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

ज्ञानवर्धक जानकारी देने वाला अच्छा आलेख है।

मोहम्मद कासिम ने कहा…

bhut achee jankari

sim786.blogspot.com