बहन फिर्दौस खान ने अपने ब्लौग पर कुछ सवाल पूछा है जो अति महत्वपूर्ण हैं निम्न में उनके जवाब एक एक कर के दे रहा हूँ, कामों के हुजूम, समय की तंगी और सवाल के तफ्सील तलब होने के कारण मैं कई भागों में इसका उत्तर दूगाँ। आशा है कि इन सवालों पर चिंतन मनन करेंगी। हमारा उद्धेश्य ज्ञान का आदान प्रदान है और बस।
सवाल करने से ईमान खतरे में नहीं पड़ताः
सवाल करने से ईमान खतरे में नहीं पड़ता अपितु सवाल करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। इसी लिए इस्लाम सवाल कर के ज्ञान को बढ़ावा देने की उत्साह पैदा करता है। मुहम्मद सल्ल0 के साथी आप से कहीं रास्ते में मिलते अथवा सभा में होते सवाल करके धार्मिक ज्ञान प्राप्त करते थे। हदीस की पुस्तकों में इस प्रकार के सवालों का भण्डार पाया जाता है।
स्वयं क़ुरआन में अनुमानतः 15 स्थानों पर यूं आया हैः "लोग आप से ....के सम्बन्ध में पूछते हैं, तो आप कह दीजिए कि …
सात सवाल सूरः बक़रा में
يسئلونك عن الأهلة --يسئلونك ماذا ينفقون قل ما أنفقتم --يسئلونك عن الشهر الحرام قتال فيه قل قتال فيه-- يسئلونك عن الخمر والميسر-- ويسئلونك ماذا ينفقون قل العفو--ويسئلونك عن اليتامى قل إصلاح لهم خير-- ويسئلونك عن المحيض-
एक सवाल सूरः माईदा में: يسئلونك ماذا أحل لهم قل أحل لكم الطيبات
दो सवाल सूरः आराफ में
. يسئلونك عن الساعة أيان مرساها قل إنما علمها عند ربي--- يسئلونك كأنك حفي عنها قل إنما علمها عند الله
एक सवाल सूरः अनफ़ाल में يسئلونك عن الأنفال قل الأنفال لله والرسول
एक सवाल सूरः इस्रा में ويسئلونك عن الروح قل الروح من أمر ربي
एक सवाल सूरः कहफ़ में ويسئلونك عن ذي القرنين
एक सवाल सूरः ताहा में ويسئلونك عن الجبال فقل ينسفها ربي نسفاً
एक सवाल सूरः नाज़ियात में يسئلونك عن الساعة أيان مرساها
क़ुरआन में यह भी आया हैः "हमारे उन संदेष्टाओं से पूछो जिन्हें हमने आप से पूर्व भेजा था... " (सूरःज़ुखरुफ 45)
सवाल आधा ज्ञान है और उत्तर आधा ज्ञान और अच्छा सवाल करना अच्छी बुद्धि का प्रेरक होता है। हदीस की किताब सुनन अबी दाऊद में है कि एक व्यक्ति को सर में ज़ख़्म हो गया, उसने (साधारण लोगों से) पूछा कि क्या मेरे लिए तयम्मुम करने की अनुमति है? लोगों ने (ज्ञान न होने के बावजूद) कह दिया कि नहीं तेरे लिए छूट नहीं। उसने पानी से स्नान कर लिया, जिस से उसके सर में पानी प्रवेश कर गया और वह मर गया। जब अल्लाह के रसूल सल्ल0 को इस की सूचना मिली तो आपने फरमायाः उन लोगों ने उसे (ग़लत मस्ला बता कर) क़त्ल किया है अल्लाह उनको क़त्ल करे, ज्ञान नहीं था तो पूछ ली होती, अज्ञानता की औषधि सवाल करना ही है।"
क़ुरआन यह भी कहता हैः
"यदि तुम नहीं जानते हो तो ज्ञान रखने वालों से पूछ लो" (सूरः नहल43)
हाँ सवाल करने से उस समय मना किया गया है जबकि ऐसी चीज़ के सम्बन्ध में सवाल किया जाए जिसकी कोई ज़रूरत न हो। उसी प्रकार सवाल करने का तात्पर्य समझना हो न कि बकवास करना।
सवाल करने से ईमान खतरे में नहीं पड़ता अपितु सवाल करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। इसी लिए इस्लाम सवाल कर के ज्ञान को बढ़ावा देने की उत्साह पैदा करता है। मुहम्मद सल्ल0 के साथी आप से कहीं रास्ते में मिलते अथवा सभा में होते सवाल करके धार्मिक ज्ञान प्राप्त करते थे। हदीस की पुस्तकों में इस प्रकार के सवालों का भण्डार पाया जाता है।
स्वयं क़ुरआन में अनुमानतः 15 स्थानों पर यूं आया हैः "लोग आप से ....के सम्बन्ध में पूछते हैं, तो आप कह दीजिए कि …
सात सवाल सूरः बक़रा में
يسئلونك عن الأهلة --يسئلونك ماذا ينفقون قل ما أنفقتم --يسئلونك عن الشهر الحرام قتال فيه قل قتال فيه-- يسئلونك عن الخمر والميسر-- ويسئلونك ماذا ينفقون قل العفو--ويسئلونك عن اليتامى قل إصلاح لهم خير-- ويسئلونك عن المحيض-
एक सवाल सूरः माईदा में: يسئلونك ماذا أحل لهم قل أحل لكم الطيبات
दो सवाल सूरः आराफ में
. يسئلونك عن الساعة أيان مرساها قل إنما علمها عند ربي--- يسئلونك كأنك حفي عنها قل إنما علمها عند الله
एक सवाल सूरः अनफ़ाल में يسئلونك عن الأنفال قل الأنفال لله والرسول
एक सवाल सूरः इस्रा में ويسئلونك عن الروح قل الروح من أمر ربي
एक सवाल सूरः कहफ़ में ويسئلونك عن ذي القرنين
एक सवाल सूरः ताहा में ويسئلونك عن الجبال فقل ينسفها ربي نسفاً
एक सवाल सूरः नाज़ियात में يسئلونك عن الساعة أيان مرساها
क़ुरआन में यह भी आया हैः "हमारे उन संदेष्टाओं से पूछो जिन्हें हमने आप से पूर्व भेजा था... " (सूरःज़ुखरुफ 45)
सवाल आधा ज्ञान है और उत्तर आधा ज्ञान और अच्छा सवाल करना अच्छी बुद्धि का प्रेरक होता है। हदीस की किताब सुनन अबी दाऊद में है कि एक व्यक्ति को सर में ज़ख़्म हो गया, उसने (साधारण लोगों से) पूछा कि क्या मेरे लिए तयम्मुम करने की अनुमति है? लोगों ने (ज्ञान न होने के बावजूद) कह दिया कि नहीं तेरे लिए छूट नहीं। उसने पानी से स्नान कर लिया, जिस से उसके सर में पानी प्रवेश कर गया और वह मर गया। जब अल्लाह के रसूल सल्ल0 को इस की सूचना मिली तो आपने फरमायाः उन लोगों ने उसे (ग़लत मस्ला बता कर) क़त्ल किया है अल्लाह उनको क़त्ल करे, ज्ञान नहीं था तो पूछ ली होती, अज्ञानता की औषधि सवाल करना ही है।"
क़ुरआन यह भी कहता हैः
"यदि तुम नहीं जानते हो तो ज्ञान रखने वालों से पूछ लो" (सूरः नहल43)
हाँ सवाल करने से उस समय मना किया गया है जबकि ऐसी चीज़ के सम्बन्ध में सवाल किया जाए जिसकी कोई ज़रूरत न हो। उसी प्रकार सवाल करने का तात्पर्य समझना हो न कि बकवास करना।
7 टिप्पणियां:
ठीक कहते हैं सवाल करने से ईमान खतरे में नहीं पड़ता अपितु सवाल करने से ज्ञान में वृद्धि होती है।
हां गुस्ताखी अलग बात होती है
यहाँ जवाब पढने कोई नहीं आएगा क्योंकि सवाल करने वालों का मकसद जवाब की तलाश है ही नहीं.
मेर भी यही विचार है कि ज़ीशान भाई बिलकुल सत्य कह रहे हैं.
दीनी एतबार से सवाल जवाब की हजारों CD और केसेट्स बाज़ार में उपलब्ध हैं. जहाँ लोग सवाल करते हैं और मुफ्ती इकराम उनके जवाब देते हैं.
ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रश्न करना इस्लाम में बिलकुल भी मना नहीं है, बल्कि ज्ञान प्राप्त करने का तो हुक्म है, हाँ संदेह करना अवश्य मना है. क्योंकि यह तो हो सकता है कि किसी को बात समझ में ना आये, परन्तु यह नहीं हो सकता है कि बात ही गलत हो. क्योंकि ईश्वर का ज्ञान पूर्ण है, और स्वयं उसने ही तो ज्ञान का निर्माण किया है.
आप अगर किसी भी मुफ्ती के पास जाएँगे तो पता चलेगा कि वहा पर प्रश्न करने वालो का ताँता लगा होता है.
सही कहा आपने जीशान भाई, वे बकबकाने के लिए अपने पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं और टिपण्णी में मोडरेशन लगा है.
सही जवाब तो सफत भाई ने दिया है. क्या यहाँ बहन और भाई लोग आयेंगे; जहाँ तक मेरा अनुभव है वे यहाँ कदापि नहीं आयेंगे.
ग्रेट !! सवाल करने से ईमान खतरे में नहीं पड़ताः सवाल करने से ईमान खतरे में नहीं पड़ता अपितु सवाल करने से ज्ञान में वृद्धि होती है
जी शाह नवाज़ भाई सही आपने सवाल जवाब की हजारों CD आदि बाज़ार में भरे पढ़े है...
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