क़ुरआन ईश-वाणी अर्थात ईश्वर की वाणी है ( वह ईश्वर जो एक है, जिसको किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिसके पास न माता पिता है न संतान, न उसका कोई भागीदार है)
उस ईश्वर ने मानव को अपनी सृष्टी के एक कोने धरती पर बसाया तो उसको जीवन बिताने के नियमों से भी अवगत किया वैसे ही जैसे कोई कम्पनी कोई सामान तैयार करती है तो उसके प्रयोग करने का नियम भी बताती है। अतः उसने मानव मार्गदर्शन हेतु हर युग और हर देश में मानव में से ही कुछ संदेष्टाओं को भेजा जिन में से अधिक संदेष्टाओं पर ग्रन्थ भी उतारा ताकि संदेष्टा उसके द्वारा मानव को अपने पैदा किए जाने के उद्धेश्य से अवगत करते रहें।
सब से अन्त में ईश्वर ने मानव के लिए अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 को "विश्व नायक" बनाकर भेजा और उन पर " क़ुरआन " अवतरित किया जो सम्पूर्ण मानव का मार्गदर्शक है।
क़ुरआन अरबी भाषा में "आकाशीय दूत" (ईश्वरीय आदेशों के पालन हेतु प्रकाश से पैदा की गई जाति जिनको "फरिशता" कहते हैं जो ईश्वर के अधीन होते हैं ) जिब्रील के माध्यम से अन्तिम ईश्दुत मुहम्मद सल्ल0 पर 23 वर्ष की लम्बी अवधि में थाड़ा थोड़ा करके अवतरित हुआ। न तो इसे मुहम्मद सल्ल0 ने लिखा है और न ही आपके किसी साथी का उसमें कोई हस्तक्षेप रहा है।
क़ुरआन जैसे जेसे अवतरित होता मुहम्मद सल्ल0 अपने अनुभवि लिपिक से अपनी निगरानी में लिपिबद्ध करवा लेते। फिर उसे सुनते और साथियों को संठस्थ करा देते। इस प्रकार क़ुरआन मुहम्मद सल्ल0 की मृत्यु से पूर्व ही पूर्ण रूप में संकलित हो गया तथा संकलन कर्म भी ईश्वर के आदेशानुसार हुआ। मुहम्मद सल्ल0 का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहा।
क़ुरआन का यह सब से बड़ा गुण है कि इसके लेखन कोई इनसान नहीं बल्कि स्वयं अल्लाह की ओर से अवतरित हुआ है। अगली पोस्ट में हम बताएंगे कि अन्य धार्मिक ग्रन्थों की तुलना में क़ुरआन की विशेषताएं क्या हैं। तब तक के लिए अनुमति दीजिए, धन्यवाद।
उस ईश्वर ने मानव को अपनी सृष्टी के एक कोने धरती पर बसाया तो उसको जीवन बिताने के नियमों से भी अवगत किया वैसे ही जैसे कोई कम्पनी कोई सामान तैयार करती है तो उसके प्रयोग करने का नियम भी बताती है। अतः उसने मानव मार्गदर्शन हेतु हर युग और हर देश में मानव में से ही कुछ संदेष्टाओं को भेजा जिन में से अधिक संदेष्टाओं पर ग्रन्थ भी उतारा ताकि संदेष्टा उसके द्वारा मानव को अपने पैदा किए जाने के उद्धेश्य से अवगत करते रहें।
सब से अन्त में ईश्वर ने मानव के लिए अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 को "विश्व नायक" बनाकर भेजा और उन पर " क़ुरआन " अवतरित किया जो सम्पूर्ण मानव का मार्गदर्शक है।
क़ुरआन अरबी भाषा में "आकाशीय दूत" (ईश्वरीय आदेशों के पालन हेतु प्रकाश से पैदा की गई जाति जिनको "फरिशता" कहते हैं जो ईश्वर के अधीन होते हैं ) जिब्रील के माध्यम से अन्तिम ईश्दुत मुहम्मद सल्ल0 पर 23 वर्ष की लम्बी अवधि में थाड़ा थोड़ा करके अवतरित हुआ। न तो इसे मुहम्मद सल्ल0 ने लिखा है और न ही आपके किसी साथी का उसमें कोई हस्तक्षेप रहा है।
क़ुरआन जैसे जेसे अवतरित होता मुहम्मद सल्ल0 अपने अनुभवि लिपिक से अपनी निगरानी में लिपिबद्ध करवा लेते। फिर उसे सुनते और साथियों को संठस्थ करा देते। इस प्रकार क़ुरआन मुहम्मद सल्ल0 की मृत्यु से पूर्व ही पूर्ण रूप में संकलित हो गया तथा संकलन कर्म भी ईश्वर के आदेशानुसार हुआ। मुहम्मद सल्ल0 का उसमें कोई हस्तक्षेप नहीं रहा।
क़ुरआन का यह सब से बड़ा गुण है कि इसके लेखन कोई इनसान नहीं बल्कि स्वयं अल्लाह की ओर से अवतरित हुआ है। अगली पोस्ट में हम बताएंगे कि अन्य धार्मिक ग्रन्थों की तुलना में क़ुरआन की विशेषताएं क्या हैं। तब तक के लिए अनुमति दीजिए, धन्यवाद।
5 टिप्पणियां:
क़ुरआन जैसे जेसे अवतरित होता मुहम्मद सल्ल0 अपने अनुभवि लिपिक से अपनी निगरानी में लिपिबद्ध करवा लेते
ye baat aam logon tak pahunchane kaa shukriya !
भाई आप के विचारो से सहमत हु
पर मेरा एक प्रश्न रहता है हमेशा हिन्दू और मुस्लिम से
आखिर वेड या कुरान का ज्ञान इश्वर के दायरा हो सकता है
कोई गायनी पुरुष ही इश्वर के बारे में बता सकता है
इश्वर खुद ही किताब नही लिखेगा
(1) वह अल्लाह एक है।
(2) उसको किसी चीज़ की आवश्यकता नहीं पड़ती।
(3) उसके पास माता पिता नहीं।
(4) उसके पास संतान नहीं।
(5) उसका कोई भागीदार नहीं।
ना तो कोई रूप है उसका और ना ही रंग है
फिर कैसे लिखेगा
इसलिए थोड़ी थोड़ी कमी में सब आजाती है
इंसान है अपने आप से प्रभावित हो सकता है
सो change भी संभव है इन दोनों में
आप का ३ नंबर वाली बात टीक नही है
पूरा विश्व ही उसका परिवार है
@ mindwassup भाई साहिब
सर्वप्रथम हम आकता इस अपने ब्लाँग पर स्वागत करते हैं। धन्यवाद
आपके संदोहों का उत्तर कुछ इस प्रकार है।
(1) बिल्कुल आप ने सही कहा कि ईश्वर स्वयं किताब या ग्रन्थ नहीं लिखता अपितु उसके सम्बन्ध में यह समझना कि वह मानव रूप लेकर पृथ्वी पर अवतरित होता है यह भी उसकी महानता की अवहेलना है। इसी लिए उस ने हर देश में संदेष्टाओं के द्वारा मानव तक अपना संदेश पहुंचाया अधिक ज्ञान के लिए मेरे अन्य पोस्ट का अय़्ययन किया जा सकता है।
रहा यह प्रश्न कि क्या क़ुरआन में परिवर्तन सम्भव है तो इसके लिए क़ुरआन क्या है के अन्तर्गत मेरे लेखों का अध्ययन करें।
सारे धार्मिक ग्रन्थों में परिवर्तन सम्भव है सिवाए क़ुरआन के .... क्योंकि क़ुरआन एक चमत्कार है। जिसकी शैली महा-प्रलय के दिन तक मानव के लिए चुनौति है।
आपका यह कहना कि पूरा विश्व ही उसका परिवार है तो यह बात बिल्कुल सही है परन्तु इस अर्थ में नहीं कि उसके पास भी संतान है जैसे मानव के पास है। यदि ऐसा है तो उसके पास भी पत्नी होगी। उसके पास माता पिता होंगे। उसे खानपान,नींद, और शौचालय की आवश्यकता होगी। जब ऐसा हुआ तो वह मानव बन गया ... और मानव इतनी प्रगति के बावजूद आज तक एक मक्खी भी पैदा न कर सका है।
पता यह चला कि मानव और ईश्वर दोनों अलग अलग है। इसी तथ्य को समझने की आज सब से बड़ी आवश्यकता है।
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