सोमवार, 28 मई 2012

दो औरतें गवाही में एक पुरुष के बराबर क्यों हैं?

यह बात सही नहीं है कि हमेशा दो औरतों की गवाही एक पुरुष ही के बराबर होती है। यह केवल कुछ मामलों में है। क़ुरआन में कम से कम पाँच ऐसी आयतें हैं जिनमें गवाहों की गवाही का उल्लेख है। लेकिन उनमें औरतों और पुरुषों में अन्तर की बात नहीं कही गई है। क़ुरआन की सूरा बक़रा अध्याय 2 की आयत 282 जो क़ुरआन की सबसे बड़ी आयत है,इस प्रकार के मामलों में यह आदेश दिया जा रहा है कि लिखित रूप में दोनों पक्षों के बीच इस तरह का मुआहदा तय पाए और इसके लिए दो गवाह बनाए जाएँ। यह ज़्यादा अच्छा है कि वे दोनों पुरुष ही हों। अगर दो पुरुष न मिल सकें तो एक पुरुष और दो औरतें काफ़ी होंगी। हज़रत आइशा (रजि़॰) की हदीस में भी एक गवाही की बात है। बहुत से धर्मशास्त्री इस बात पर एक मत हैं कि चाँद देखने के बारे में केवल एक औरत की गवाही काफ़ी है। दो औरतें गवाही में एक पुरुष के बराबर क्यों हैं?

1 टिप्पणी:

DR. ANWER JAMAL ने कहा…

Nice post.

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क्षत्रिय ममेरी फुफेरी बहनों से विवाह करते हैं Bal vivah
ये हैं जय और जिया... उम्र महज दो साल...रिश्ता, भावी पति-पत्नी...यह बात अलग है जय की मां मीना जिया के पिता राम की बहन है...

http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/02/bal-vivah.html