यह बात सही नहीं है कि हमेशा दो औरतों की गवाही एक पुरुष ही के बराबर होती है। यह केवल कुछ मामलों में है। क़ुरआन में कम से कम पाँच ऐसी आयतें हैं जिनमें गवाहों की गवाही का उल्लेख है। लेकिन उनमें औरतों और पुरुषों में अन्तर की बात नहीं कही गई है। क़ुरआन की सूरा बक़रा अध्याय 2 की आयत 282 जो क़ुरआन की सबसे बड़ी आयत है,इस प्रकार के मामलों में यह आदेश दिया जा रहा है कि लिखित रूप में दोनों पक्षों के बीच इस तरह का मुआहदा तय पाए और इसके लिए दो गवाह बनाए जाएँ। यह ज़्यादा अच्छा है कि वे दोनों पुरुष ही हों। अगर दो पुरुष न मिल सकें तो एक पुरुष और दो औरतें काफ़ी होंगी। हज़रत आइशा (रजि़॰) की हदीस में भी एक गवाही की बात है। बहुत से धर्मशास्त्री इस बात पर एक मत हैं कि चाँद देखने के बारे में केवल एक औरत की गवाही काफ़ी है। दो औरतें गवाही में एक पुरुष के बराबर क्यों हैं?
हमारे देश भारत में हर धर्म एवं पथ के मानने वालों का अनेकता में एकता का प्रदर्शन करना हर्ष का विषय है परन्तु खेद की बात यह है कि एक दूसरे के प्रति हमारा ज्ञान सुनी सुनाई बातों, दोषपूर्ण विचार तथा काल्पनिक वृत्तांतों पर आधारित है। आज पारस्परिक प्रेम हेतु धर्म को उसके वास्तविक स्वरूप में जानने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य के अन्तर्गत यह ब्लौग आपकी सेवा में प्रस्तुत है। हमें आशा है कि पाठकगण निष्पक्ष हो कर अपनी भ्रांतियों को दूर कर के सही निर्णय लेंगे।
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1 टिप्पणी:
Nice post.
Please see
क्षत्रिय ममेरी फुफेरी बहनों से विवाह करते हैं Bal vivah
ये हैं जय और जिया... उम्र महज दो साल...रिश्ता, भावी पति-पत्नी...यह बात अलग है जय की मां मीना जिया के पिता राम की बहन है...
http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/02/bal-vivah.html
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