रमज़ान का महीना इस्लामी कलेंडर के अनुसार नवाँ महीना है। यह महीना दया, क्षमा, नरक से मुक्ति तथा पारस्परिक सहानुभूति का महीना है। इसमें स्वर्ग के द्वार खोल दिए जाते हैं, नरक के द्वार बन्द कर दिए जाते हैं और शैतानों को बैड़ियों में जक़ड़ दिया जाता है। इस प्रकार इनसान की आध्यात्मिक प्रगति के रास्ते से बहुत बड़ी रुकावट दूर हो जाती है और उसके लिए नेकियों के काम बहुत आसान हो जाते हैं।
इस महीने में नेकियों का प्रत्युपकार भी बढ़ा दिया जाता है, नफिल नमाज़ों का पुण्य फर्ज़ नमाज़ों के समान औऱ फर्ज़ नमाज़ों का पुण्य दूसरे महीने में सत्तर पूण्य के समान कर दिया जाता है और प्रार्थनाएं स्वीकार की जाती हैं। इसी महीने में क़ुरआन जैसे पवित्र ग्रन्थ का अवतरण हुआ जो सम्पूर्ण संसार का मार्गदर्शक है। इसी महीने में शबे क़द्र ( सम्मानित रात्री) आती है जो हज़ार महीनों अर्थात् 83 वर्ण 4 महीने से उत्तम है।
सारांश यह कि यह महीना अति उत्तम और श्रेष्ठ है जिसमें हर ओर नेकियों का वातावरण होता है मानो यह नेकियों का वसंत ऋतु है ।मुहम्मद स0 के प्रवचनों में आता है कि जिसने रमज़ान का महीना पाया और उसके पाप न क्षमा किए जा सके तो वह मानो हर भलाई से वंचित है।
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