गुरुवार, 4 जुलाई 2013

यदि अल्लाह ने हमें बनाया तो अल्लाह को किसने बनाया ?

यह एक व्यर्थ प्रश्न है। सर्वप्रथम हम यह सवाल करते हुए मान रहे हैं कि अल्लाह  है और यदि किसी को इस विषय पर विश्वास नहीं है तो स्वयं उसे अपने वजूद पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए क्यों कि उसका वजूद यह पता देता है कि उसका कोई बनाने वाला है, हम बिना बनाने वाले के नहीं बन सकते और हमने स्वंय को नहीं बनाया तो इस से सिद्ध यह हुआ कि हमारा कोई बनाने वाला अवश्य है।

 अल्लाह का वजूद मान लेने के बाद तुरंत भगवान की विशेषता की ओर हमारा ज़ेहन जाता है,  अल्लाह  की विशेषता यह है कि वह सब का पैदा करने वाला है उसका कोई पैदा करने वाला नहीं, वह स्वयं से है और अपने वजूद के लिए किसी का ज़रूरतमंद नहीं। जब यह उसकी मूल विशेषता ठहरी कि कोई उसका पैदा करने वाला नहीं तो यह प्रश्न अपनी जगह पर बिल्कुल व्यर्थ है कि  अल्लाह को किसने पैदा किया।
यदि हम थोड़ी देर के लिए मान लें कि अल्लाह को किसी ने पैदा किया है तो इस से हम ऐसी मुश्किल में पड़ जाएंगे कि हमें वापस आ कर फ़िर से यह मानना पड़ेगा कि  अल्लाह को किसी ने पैदा नहीं किया।
आप विचार कीजिए कि दुनिया में पैदाइश का काम जारी है, और हर सृष्टि के लिए सृष्टा की ज़रूरत है, अगर हम मानें कि हर सृष्टा के लिए एक सृष्टा की ज़रूरत है अर्थात् हर  अल्लाह के लिए दूसरे  अल्लाह की ज़रूरत है और इस सिलसिला की कोई अन्तिम कड़ी नहीं है। तो मानना पड़ेगा कि पहले अल्लाह का वजूद नहीं है।

क्यों कि हमने यह माना है कि हर भगवान के लिए दूसरे भगवान की ज़रूरत है और फिर दूसरे के लिए तीसरे, तीसरे के लिए चौथे और चौथे के लिए पांचवें भगवान की ज़रूरत है तात्पर्य यह कि यह क्रम टूटने वाला नहीं है इसका कोई अन्त नहीं है। यहां पर यही माना जा सकता है कि एक भगवान के बाद दूसरा भगवान और फिर तीसरा और फ़िर चौथा और यह सिलसिला अवश्य कहीं जा कर समाप्त होता है, और वही अन्तिम कड़ी भगवान है जो स्वयं सृष्टा है और उसे किसी ने पैदा न किया है। 

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