बहुत से लोग कहते हैं कि धर्म नाम है इनसानियत का - मैं कहता हूं कि यह बात कुछ हद तक सही हैं पूर्ण रूप में नहीं क्योंकि असल धर्म यह है कि हम अपने प्रभू को पहचान लें तथा उसकी पूजा करने लगें क्योंकि संसार परीक्षास्थल है परिणाम स्थल नहीं यहाँ सब लोगों को एक समय के लिए रखा गया हैं ताकि ईश्वर देखे कि कौन उसका आभारी होता है तथा कौन अकृतज्ञ
इस लिए में अपने उन भाइयों से कहूंगा जो ईश्वर का नाम अवश्य लेते हैं पर उसे पहचानते नहीं हैं उसे पहचानने का कष्ट करें वह किसी जाति का प्रभू नहीं बल्कि पूरे संसार का है यह है हमारे जीवन का मूल प्रश्न अर्थात ईश्वर की सही खोज
इस लिए में अपने उन भाइयों से कहूंगा जो ईश्वर का नाम अवश्य लेते हैं पर उसे पहचानते नहीं हैं उसे पहचानने का कष्ट करें वह किसी जाति का प्रभू नहीं बल्कि पूरे संसार का है यह है हमारे जीवन का मूल प्रश्न अर्थात ईश्वर की सही खोज
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