मंगलवार, 18 नवंबर 2008

मानव का अपने रब के साथ सम्बंध

वह बुनयाद जिस पर बन्दे का अपने पैदा करने वाले के साथ सम्बन्ध स्थापित होता है वह कलमा शहादत "लाइलाह इल्ल-ल्लाह" है। जिसका अर्थ है "अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं"। अपने रब का सच्चा बन्दा वही है जो अपने जीवन की हर स्थिति में अल्लाह तआला की ओर लपके, उसी पर भरोसा करे, उसी का डर रखे और उसी के नियम को स्थापित करने में प्रयत्नशील रहे।
इबादतें आत्मा को शुद्ध एवं उजव्वल करती हैं, हर स्थिति में अल्लाह की निगरानी का एहसास इनसान को इस योग्य बनाता है कि वह बुराइयों से रुक जाए और नेक अमलों की अदाएगी में जलदी करे। औऱ यह तरीका समाज को शान्तिपूर्ण रखने में बड़ा सहायक है।
बल्कि इबादतें सहानुभूति, नयाय, प्रतिज्ञापालन, सच्चाई, दयालुता, पारस्परिक सम्बंध, स्वार्थ त्याग और अन्य अच्छे आचरण पर उभारती हैं। अतः जब इनसान का सम्बन्ध अपने रब के साथ ठोस हो जाता है तो एक व्यक्ति और समाज के बीच सम्बन्ध का एक विशाल द्वार खुल जाता है। और इस सम्बन्ध को स्थापित करने में मूल भूमिका अल्लाह की इबादत और एकेश्वरवाद की होती है।

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