जब तक मुस्लिम समाज इस्लामी शिक्षाओं को मज़बूती से थामे रहा हर प्रकार के मतभेद, भिन्नता तथा फसाद से सर्वथा सुरक्षित रहा और उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन न हो सका। इस्लाम के उत्थान काल में इस्लामी जगत की शक्ति का रहस्य यही था और पतन के इस दौर में उन्नति पाने का रहस्य भी यही है।
यह धरती विभिन्न नियमों, सिद्धांतों और संस्कृतियों पर सम्मिलित समाज का तजरबा कर चुकी है अब यह कहना बिल्कुल सच होगा कि इस्लामी नियम उन सारे नियमों में जिसे मानवता ने आज तक परखा है श्रेष्ठ, उत्तम और अति लाभदायक है। इस का आगमन ही इस लिए हुआ है ताकि जीवन की रहनुमाई करे। उसके लगाम को थामे रहे और मानव समुदाय के सामने ऐसा जीवन व्यवस्था पेश करे जिसकी रोशनी में वह अपना रास्ता तै कर सके। इस्लाम ने इस्लामी वंश और इस्लामी समाज को अति ठोस और संतुलित नियम पर स्थापित किया है जिसकी बुनयाद फज़ीलत और तक़वा (संयम) पर रखी गई है। और उसे मनोकामनाओं तथा कामवासनाओं पर क़ाबू पाने के लिए हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है। अतः इस्लामी नियम का आधार इस बात पर है कि लोग अच्छे आचरण से सुसज्जित हो जाएं, इस की ओर अल्लाह के रसूल सल0 ने इस प्रकार संकेत फरमाया "मुझे इस लिए भेजा गया है ताकि नैतिकता को शिखर तक पहुंचा दूं।"
यह धरती विभिन्न नियमों, सिद्धांतों और संस्कृतियों पर सम्मिलित समाज का तजरबा कर चुकी है अब यह कहना बिल्कुल सच होगा कि इस्लामी नियम उन सारे नियमों में जिसे मानवता ने आज तक परखा है श्रेष्ठ, उत्तम और अति लाभदायक है। इस का आगमन ही इस लिए हुआ है ताकि जीवन की रहनुमाई करे। उसके लगाम को थामे रहे और मानव समुदाय के सामने ऐसा जीवन व्यवस्था पेश करे जिसकी रोशनी में वह अपना रास्ता तै कर सके। इस्लाम ने इस्लामी वंश और इस्लामी समाज को अति ठोस और संतुलित नियम पर स्थापित किया है जिसकी बुनयाद फज़ीलत और तक़वा (संयम) पर रखी गई है। और उसे मनोकामनाओं तथा कामवासनाओं पर क़ाबू पाने के लिए हर प्रकार की सुरक्षा प्रदान करता है। अतः इस्लामी नियम का आधार इस बात पर है कि लोग अच्छे आचरण से सुसज्जित हो जाएं, इस की ओर अल्लाह के रसूल सल0 ने इस प्रकार संकेत फरमाया "मुझे इस लिए भेजा गया है ताकि नैतिकता को शिखर तक पहुंचा दूं।"
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