कहते हैं कि एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ भोजन करने बैठा उसके सामने पूरी भूनी हुई मुर्गी थी, उसी समय एक भिकारी द्वार पर आकर कुछ माँगने लगा, उसने दरवाज़ा खोला और भिकारी को डाँट कर भगा दिया। अल्लाह का करना ऐसा हुआ कि कुछ ही दिनों में वह व्यक्ति भी निर्धन हो गया, सारी सम्पत्ती जाती रही यहाँ तक कि उसने अपनी पत्नी को तलाक़ भी दे दिया, उस महिला ने किसी दूसरे व्यक्ति से विवाह कर लिया। एक दिन जब अपने दूसरे पति के साथ जलपान हेतु बैठी तो उसी समय एक भिकारी दरवाज़े पर आ गया। दोनों के सामने पूरी भूनी हुई मर्ग़ी थी, भिकारी की आवाज़ सुनते ही पति ने पत्नी से कहा : द्वार खोलो और यह मुर्गी उस भिखारी को दे दो । पत्नी भिकारी को भुनी मुर्गी देने के लिए जब द्वार पर आई तो यह देख कर आश्चर्यचकित रह गई कि भिकारी कोई दूसरा नहीं बल्कि उसी का पहला पति है ( जिसने भिकारी को डाँट कर भगाया था) मुर्गी उसे दे दिया और रोती हुई अपने पति के पास लौटी, जब पति ने रोने का कारण पूछा तो बोली : भिकारी मेरा पहला पति था, फिर उसने सारी घटना सुनाई कि किस प्रकार उसके पति ने एक भिकारी को डाँट कर भगा दिया उसके तुरन्त बाद उसकी सारी समपत्ती जाती रही यहाँ तक कि उसने हमें तलाक़ दे दिया, और मैंने आप से विवाह कर लिया, पति ने कहा : वह पहला भिकारी तो मैं ही था।
हमारे देश भारत में हर धर्म एवं पथ के मानने वालों का अनेकता में एकता का प्रदर्शन करना हर्ष का विषय है परन्तु खेद की बात यह है कि एक दूसरे के प्रति हमारा ज्ञान सुनी सुनाई बातों, दोषपूर्ण विचार तथा काल्पनिक वृत्तांतों पर आधारित है। आज पारस्परिक प्रेम हेतु धर्म को उसके वास्तविक स्वरूप में जानने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य के अन्तर्गत यह ब्लौग आपकी सेवा में प्रस्तुत है। हमें आशा है कि पाठकगण निष्पक्ष हो कर अपनी भ्रांतियों को दूर कर के सही निर्णय लेंगे।
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1 टिप्पणी:
koi bhi insaan dayaa aur karuna ke bagair insaan nahi hai.lekin apaki kahani me sanyogvasta jyada lagati hai.
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