सोमवार, 9 फ़रवरी 2009

क्या आप इस महा-पुरुष को जानते हैं?

आप इतिहास के एक मात्र व्यक्ति हैं जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे धार्मीक स्तर पर भी और सांसारिक स्तर पर भी"यह टिप्पणी एक इसाई वैज्ञानिक डा0 माइकल एच हार्ट की है जिन्हों ने अपनी पुस्तक The 100 (एक सौ) में मानव इतिहास पर प्रभाव डालने वाले संसार के सौ अत्यंत महान विभूतियों का वर्णन करते हुए प्रथम स्थान पर जिस पहापुरूष को रखा है उन्हीं के सम्बन्ध में यह टिप्पणी लिखी है। अर्थात संसार के क्रान्तिकारी व्यक्तियों की छानबीन के बाद सौ व्यक्तियों में प्रथम स्थान ऐसे महापुरुष को दिया है जिनका वह अनुयाई नहीं। जानते हैं वह कौन महा-पुरुष हैं.......?
उनका नाम मुहम्मद हैःमुहम्मद सल्ल0 वह इनसान हैं जिनके समान वास्तव में संसार में न कोई मनुष्य पैदा हुआ और न हो सकता है जबहि तो एक वैज्ञानिक लेकख जब हर प्रकार के पक्षपात से अलग होकर क्रान्तिकारी व्यक्तियों की खोज में निकलता है तो उसे पहले नम्बर पर यही मनुष्य देखाई देते हैं। ऐसा क्यों ? आख़िर क्यों मुहम्मद सल्ल0 को उन्हों ने संसार में पैदा होने वाले प्रत्येक व्यक्तियों में प्रथम स्थान पर रखा हालाँकि वह इसाई थे ईसा अलै0 अथवा किसी अन्य इसाई विद्धानों को पहला स्थान दे सकते थे.....?
वास्तविकता यह है कि आपने जो संदेश दिया था वह मानव संदेश था, उसका सम्बन्ध किसी जाति विशेष से नहीं था, वह अन्तिम क्षण तक मानव कल्याण की बात करते रहे और इसी स्थिति में संसार त्याग गए और इसी संदेश के आधार पर मात्र 23 वर्ष की अवधि में पूरे अरब को बदल कर रख दिया, प्रोफेसर रामाकृष्णा राव के शब्दों में –
{आप के द्वारा एक ऐसे नए राज्य की स्थापना हुई जो मराकश से ले कर इंडीज़ तक फैला और जिसने तीन महाद्वीपों – एशिया, अफ्रीक़ा, और यूरोप- के विचार और जीवन पर अपना असर डाला}
( पैग़म्बर मुहम्मद , प्रोफेसर रामाकृष्णा राव पृष्ठ 3)आइए ज़रा इस महान व्यक्ति की जीवनी पर एक दृष्टि डाल कर देखते हैं कि ऐसा कैसे हुआ?
मुहम्मद सल्ल0 20 अप्रैल 571 ई0 में अरब के मक्का शहर के एक प्रतिष्ठित वेश में पैदा हुए । जन्म के पूर्व ही आपके पिता का देहांत हो गया। छः वर्ष के हुए तो दादा का साया भी सर से उठ गया जिसके कारण कुछ भी पढ़ लिख न सके। आरम्भ ही से गम्भीर, सदाचारी, एकांत प्रिय तथा पवित्र एवं शुद्ध आचरण के थे। आपका नाम यधपि मुहम्मद था परन्तु इन्हीं गुणों के कारण लोग आपको «सत्यवादी»तथा «अमानतदार» की अपाधि से पुकारते थे। आपकी जीवनी बाल्यावस्था हो कि किशोरावस्था हर प्रकार के दाग़ से शुद्ध एंव उज्जवल थी।
हालांकि वह ऐसे समाज में पैदा हुए थे जहां हर प्रकार की बुराइयाँ हो रही थीं, शराब, जुवा, हत्या, लूट-पाथ तात्पर्य यह कि वह कौन सी बुराई थी जो उनमें न पाई जा रही हो? लेकिन उन सब के बीच सर्वथा शुद्ध तथा उज्जवल रहे। ( दूसरे भाग की कृपया प्रतीक्षा करें)

1 टिप्पणी:

mashhood ने कहा…

assalamualykum vreh mattulah