सर्वप्रथम हम अपने प्रत्येक भारत वासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं पेश करते हैं ।
ईश्वर ने सम्पूर्ण सृष्टी को स्वतंत्र पैदा किया है। ईश्वर को यह बात कदापि प्रिय नहीं कि उसकी सृष्टि किसी और की दासता में रह कर जीवन बिताए। कारण यह है ईश्वर सृष्टा है तो वह अपनी प्रत्येक सृष्टि से दासता का मुतालबा स्वयं अपने लिए करता है और अपने दासों को अपनी दासता में देखना चाहता है। क्योंकि उसने सम्पूर्ण जीव-जातियों को पैदा ही नहीं किया है वरना उन पर विभिन्न प्रकार का उपकार भी किया है। तथा उन सब का संरक्षण भी कर रहा है।
जब उसी ने संसार को रचाया, उसी ने हर प्रकार का अपकार किया, वही संसार को चला रहा है तथा संसार की अवधि पूर्ण होने के पश्चात वही संसार को नष्ट भी करेगा तो मानव को प्राकृतिक रूप में उसी की दासता की छाया में जीवन भी बिताना चाहिए। और उसके अतिरिक्त हर प्रकार की दासता को नकार देना चाहिए।
स्वतंत्रता किनता महत्वपूर्ण उपकार है यह उस से पूछिए जो स्वतंत्र वातावरण में जीवन बिताने के बाद दासता की ज़ंजीरो में जकड़ा हुआ हो। इसी लिय इस्लाम ने स्वतंत्रता पर बहुत बल दिया, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "तहरीके आजादी" पृष्ठ 14 में लिखा है " इनसानों को मानव की दासता से मुक्ति दिलाना इस्लाम का ईश्वरीय उद्देश्य है।" मौलाना अपनी दूसरी पुस्तक "क़ौले फस्ल" पृष्ठ 50 में लिखते हैं " इस्लाम ने ज़ाहिर होते ही यह घोषणा किया कि सत्य शक्ति नहीं बल्कि स्वयं सत्य है, और ईश्वर के अतिरिक्त किसी के लिए उचित नहीं ईश्वर के दासों को अपना अधीन और दास बनाए।"
मौलाना आज़ाद ने मुसलमानों का नेतृत्व करते हुए मात्र दो ही रास्ते अपनाने की दावत दी है। आज़ादी या मौत, अतः वह पूरे निर्भयता से कहते हैं "इनसानों के बुरे व्यवहार से किसी शिक्षा की वास्तविकता नहीं झुटलाई जा सकती। इस्लाम की शिक्षा उसके ग्रन्थ में मौजूद है। वह किसी स्थिति में भी वैध नहीं रखती कि स्वतंत्रता खो कर मुसलमान जीवन बिताए। मुसलमानों को मिट जाना चाहिए। तीसरा रास्ता इस्लाम में कोई नहीं" (क़ौले-फैसल, 63-64)
जी हाँ ! इस्लाम कदापि नहीं चाहता कि इनसान दास बन कर जीवन बिताए। यही कारण है कि जब हमारा देश भारत अग्रेज़ों की दासता में जा फंसा तो हमारे पूर्वजों ने सब से पहले इस दासता के विरोद्ध में आंदोलन चलाई और भारत की स्वतंत्रता का ज़ोरदार नारा लगाया। भारत के निवासियों ने लाखों कुर्बानियां देकर मन के काले और शरीर के गोरे ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता की छाया में सांस ले रहे हैं।
जब उसी ने संसार को रचाया, उसी ने हर प्रकार का अपकार किया, वही संसार को चला रहा है तथा संसार की अवधि पूर्ण होने के पश्चात वही संसार को नष्ट भी करेगा तो मानव को प्राकृतिक रूप में उसी की दासता की छाया में जीवन भी बिताना चाहिए। और उसके अतिरिक्त हर प्रकार की दासता को नकार देना चाहिए।
स्वतंत्रता किनता महत्वपूर्ण उपकार है यह उस से पूछिए जो स्वतंत्र वातावरण में जीवन बिताने के बाद दासता की ज़ंजीरो में जकड़ा हुआ हो। इसी लिय इस्लाम ने स्वतंत्रता पर बहुत बल दिया, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "तहरीके आजादी" पृष्ठ 14 में लिखा है " इनसानों को मानव की दासता से मुक्ति दिलाना इस्लाम का ईश्वरीय उद्देश्य है।" मौलाना अपनी दूसरी पुस्तक "क़ौले फस्ल" पृष्ठ 50 में लिखते हैं " इस्लाम ने ज़ाहिर होते ही यह घोषणा किया कि सत्य शक्ति नहीं बल्कि स्वयं सत्य है, और ईश्वर के अतिरिक्त किसी के लिए उचित नहीं ईश्वर के दासों को अपना अधीन और दास बनाए।"
मौलाना आज़ाद ने मुसलमानों का नेतृत्व करते हुए मात्र दो ही रास्ते अपनाने की दावत दी है। आज़ादी या मौत, अतः वह पूरे निर्भयता से कहते हैं "इनसानों के बुरे व्यवहार से किसी शिक्षा की वास्तविकता नहीं झुटलाई जा सकती। इस्लाम की शिक्षा उसके ग्रन्थ में मौजूद है। वह किसी स्थिति में भी वैध नहीं रखती कि स्वतंत्रता खो कर मुसलमान जीवन बिताए। मुसलमानों को मिट जाना चाहिए। तीसरा रास्ता इस्लाम में कोई नहीं" (क़ौले-फैसल, 63-64)
जी हाँ ! इस्लाम कदापि नहीं चाहता कि इनसान दास बन कर जीवन बिताए। यही कारण है कि जब हमारा देश भारत अग्रेज़ों की दासता में जा फंसा तो हमारे पूर्वजों ने सब से पहले इस दासता के विरोद्ध में आंदोलन चलाई और भारत की स्वतंत्रता का ज़ोरदार नारा लगाया। भारत के निवासियों ने लाखों कुर्बानियां देकर मन के काले और शरीर के गोरे ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता की छाया में सांस ले रहे हैं।
एक बार फिर प्रत्येक भारत वासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
8 टिप्पणियां:
आजादी और इस्लाम पर आपने बहुत अच्छी जानकारी पेश की इसकी आवश्यकता थी, मौलाना आजाद की बातों पर हमें ध्यान देना चाहिए जैसे कि उन्होंने कहा है ''आज़ादी या मौत''
" इनसानों को मानव की दासता से मुक्ति दिलाना इस्लाम का ईश्वरीय उद्देश्य है।"
धन्यवाद
सही कह रहे है, आप तभी तो इरान, इराक, अफगानिस्तान और पाकिस्तान मैं रोज कत्ले आम हो रहे है.
किसी स्थिति में भी वैध नहीं रखती कि स्वतंत्रता खो कर मुसलमान जीवन बिताए।
केवल मुसलमान या इनसान?
gr8,
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स्वतंत्र केवल मुसलमान ही हैं। ये ही शब्द कट्टरता का प्रतिक है.
भाई संजय बेंगाणी साहिब ! आप ने अच्छा विंदु उठाया। प्राकृतिक रूप में सारे इनसान स्वतंत्रता के इच्छुक होते हैं। पर मुस्लिम राजनितिक तथा धार्मिक दोनों स्तर पर मात्र अपने पैदा करने वाले ईश्वर का दास होता है। इसी लिए हमने कहा कि पूर्ण स्वतंत्र केवल मुसलमान ही हैं। शायद मेरी बात स्पष्ट है।
Tarkeshwar Giri साहेब यहाँ कट्टरता की बात नही हम यह कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार हम राजनितिक रूप में स्वतंत्रता के इच्छुक हैं वैसे ही धार्मिक रूप में होना चाहिए, इसी लिए मुस्लमान केवल एक अल्लाह की पूजा करते हैं
@Peace be upon you.
ek achhi koshish hai . Ghalatfahmiyon ke jangal men jo log apni jhonpdi dale baithe hain unhen insano ki basti ki taraf lane ke liye apne kashish ki, bahut achha kiya.
Lekin in ghalatfahmiyon ke alawa ye bhi sach hai ki musalmano ne na to apne rabb ka haq ada kiya aur na apne aas pas basne wale bhaiyyon ka warna aaj itni badgumaniyan na hotin.
khair der ayad durust ayad.
safat bhai hamari anjuman ki taraf se blogvani par register hone ke liye badhaiyan!!!
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