विश्व नायक मुहम्मद सल्ल0 ने कभी किसी खाने में ऐब नहीं लगाया, इच्छा होती तो खाते वरना छोड़ देते।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल0 मिलने वाले को सब से पहले सलाम करते थे, हर व्यक्ति से हंस कर बात करते, तपाक से हाथ मिलाते और हाथ न छोड़ते जब तक वह स्वयं अपना हाथ न खींच लेता।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० निर्धनों को अपने पास बैठाते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल0 मिलने वाले को सब से पहले सलाम करते थे, हर व्यक्ति से हंस कर बात करते, तपाक से हाथ मिलाते और हाथ न छोड़ते जब तक वह स्वयं अपना हाथ न खींच लेता।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० निर्धनों को अपने पास बैठाते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० को यह बात अप्रिय थी कि कोई उनको देख कर खड़ा हो, उसी प्रकार अपने सम्बन्ध में अतिशयोक्ति (गुलू) करने से भी रोकते थे और सभा में जहाँ जगह मिलती वहाँ बैठ जाते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० बड़े दानशील थे, बड़े बहादुर थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० से कोई चीज़ मांगी गई हो और आपने नहीं कहा हो, कभी ऐसा नहीं हुआ।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० मुर्खों के साथ विनम्रता बरतते और अत्याचारी को क्षमा कर देते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० बात करने वाले की बात को इतना ध्यान से सुनते कि हर बार करने वाला समझता कि आप के पास सब से अधिक प्रिय वही है।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० से जो कोई भी एकांत में बात करने की इच्छा व्यक्त करता उसकी इच्छा पूरी करते और उसकी बात को खूब ध्यान से सुनते।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० जब किसी चीज़ को अप्रिय समझते तो उसका अनुमान आपके चेहरे से लग जाता था।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० ने पत्नी, सेवक अथवा किसी अन्य को कदापि नहीं मारा।आपके सेवक अनस कहते हैं "मैंने 9 वर्ष तक आप सल्ल0 की सेवा की परन्तु याद नहीं कि आपने कभी हमसे कहा हो कि तुमने ऐसा ऐसा क्यों किया।"
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० सांसारिक भोग विलास से दूर थे। आप चटाई पर सोते थे। आपका बिस्तर चमड़ेका था जिसमें खुजूर की छाल भर दी गई थी।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० को झूट से अति घृणा थी।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० के निकट प्रिय काम वह होता जिसको निरंतर किया जाए चाहे कम ही क्यों न हो।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० को जब किसी प्रकार की प्रसन्नता की बात पहुंचती तो ईश्वर की कृतज्ञता हेतु सज्दे में गिर जाते।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० सोते तो आपके सर के पास दतौन (मिस्वाक) होता था, जब उठते तो सर्वप्रथम दतौन करते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० हर समय अल्लाह का स्मरण करते रहते थे। .
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० बड़े दानशील थे, बड़े बहादुर थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० से कोई चीज़ मांगी गई हो और आपने नहीं कहा हो, कभी ऐसा नहीं हुआ।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० मुर्खों के साथ विनम्रता बरतते और अत्याचारी को क्षमा कर देते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० बात करने वाले की बात को इतना ध्यान से सुनते कि हर बार करने वाला समझता कि आप के पास सब से अधिक प्रिय वही है।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० से जो कोई भी एकांत में बात करने की इच्छा व्यक्त करता उसकी इच्छा पूरी करते और उसकी बात को खूब ध्यान से सुनते।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० जब किसी चीज़ को अप्रिय समझते तो उसका अनुमान आपके चेहरे से लग जाता था।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० ने पत्नी, सेवक अथवा किसी अन्य को कदापि नहीं मारा।आपके सेवक अनस कहते हैं "मैंने 9 वर्ष तक आप सल्ल0 की सेवा की परन्तु याद नहीं कि आपने कभी हमसे कहा हो कि तुमने ऐसा ऐसा क्यों किया।"
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० सांसारिक भोग विलास से दूर थे। आप चटाई पर सोते थे। आपका बिस्तर चमड़ेका था जिसमें खुजूर की छाल भर दी गई थी।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० को झूट से अति घृणा थी।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० के निकट प्रिय काम वह होता जिसको निरंतर किया जाए चाहे कम ही क्यों न हो।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० को जब किसी प्रकार की प्रसन्नता की बात पहुंचती तो ईश्वर की कृतज्ञता हेतु सज्दे में गिर जाते।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० सोते तो आपके सर के पास दतौन (मिस्वाक) होता था, जब उठते तो सर्वप्रथम दतौन करते थे।
विश्व नायक मुहम्मद सल्ल० हर समय अल्लाह का स्मरण करते रहते थे। .
5 टिप्पणियां:
आप गंदी ज़बान का प्रयोग करते हो तो इसलिए कि आपको ऐसी ही शिक्षा मिली है। हम मुस्लिम हैं, हम तर्क से बात करते हैं, गंदी ज़बान का प्रयोग नहीं करते। हम भी चाहें तो आपकी मुर्तियों को भी नंगा कर दें, लेकिन हम कर नहीं सकते। बल्कि हमारे पवित्र कुरआन ने हमें इस से मना किया है। तुझ से ज़्यादा हम उनका सम्मान करते हैं। तुम ने उन पर अत्याचार किया और उन पर दोष डाल दिया।
मुहम्मद सल्ल0 जैसा पवित्र इनसान तो इस धरती पर न पैदा हुआ न हो सकता है। अभी मैं बताता हूं तुलना कर के ।
उपरोक्त अनाम के कमेंट्स को तुरंत मिटा देना चाहिए ऐसे घटिया कमेंट्स को तूल देकर आप इस अनाम को गैर जरूरत इज्ज़त दे रहे हैं, इससे गैर मुस्लिम का नाम बदनाम होता है ! ऐसे लोगों की कमी किसी धर्म में नहीं है इसका मतलब यह नहीं कि सारे लोग ही ऐसे हैं !
आशा है आप मेरी बात का ध्यान देंगे , इस अनाम की तरफ से आपका दिल दुखाने हेतु मैं माफ़ी मांगता हूँ ! ईश्वर ऐसे लोगों को बुद्धि दे !
सादर
हज़रत मुहम्मद साहब के बार में आपने कम शब्दों में बहुत सुन्दर लिखा है , अच्छा लगा ! आपका शुक्रिया !
भाई सतीश सक्सेना साहेब !
सर्वप्रथम आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि हमारे ब्लॉग पधारे और खुले दिल से अपनी भावनाएं प्रकट की, आपके संकेत पर ही उपर्युक्त टिप्पणी हटा दी है, हम आपका दिल से स्वागत करते हैं धन्यवाद
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