आज हर व्यक्ति जल का दुर्पयोग कर रहा है। स्नानागार, शौचालय, रसोई घर और बागीचे की सींचाई में जल की खपत अत्यधिक मात्रा में हो रही है। हम सब का कर्तव्य बनता है कि हम सब जल की सुरक्षा करें उसे नष्ट न होने दें, क्यों कि किसी भी चीज़ का दुर्पयोग दरिद्रता तथा निर्धनता का कारण होता है। फुज़ूलफर्ची करने वाले का प्रथम तथा अन्तिम उद्देश्य इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं होता कि अपनी कामनाओं को पूरा कर ले और बस। न वह अपने परिणाम को सोचता है और न ही दूसरों के लाभ की परवाह करता है।
इस्लाम फुज़ूल खर्जी से रोकता और संरक्षण की ताकीद करता है। क़ुरआन में कहा गयाः "खाओ पिओ और फुज़ूलखर्ची न करो, अल्लाह फुज़ूलखर्ची करने वालों को पसन्द नहीं करता।"
मुहम्मद सल्ल0 जिनका जीवन प्रत्येक मानव के लिए आदर्श था,जल के संरक्षण में आपका आदर्श हमें मिलता है कि आप ज़्यादातर एक मुद्द (650 ग्राम) जल से वुज़ू कर लेते तथा एक साअ से पाँच मुद्द (3 किलो ग्राम या उससे अधिक) में स्नान कर लेते थे।( मस्लिम)
एक व्यक्ति हज़रत इब्ने अब्बास रज़ि0 के पास आया और कहाः वुज़ू के लिए कितना पानी हमें काफी होना चाहिए ? कहाः मुद्द , पुछाः स्नान के लिए कितना पानी काफी होना चाहिए? कहाः साअ। उसने कहाः इतना तो मुझे काफी नहीं। आपने फरमायाः उस इनसान को काफी हुआ जो तुझ से उत्तम थे, अर्थात् अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्ल0।( अहमद )
एक बार मुहम्मद सल्ल0 हज़रत साद बिन अबी वक्क़ास रज़ि0 के पास से गुज़रे जबकि वह वुज़ू कर रहे थे और पानी का प्रयोग ज़रुरत से ज़्यादा कर रहे थे। आपने फरमायाः हे साद! यह क्या फुज़ूल खर्ची है ? उन्होंने पूछाः क्या वुज़ू में भी फुज़ूलखर्ची है? आपने फरमायाः हाँ क्यों नहीं! यधपि तुम बहती नदी के निकट ही क्यों न हो (वहाँ भी आवश्यकता से अधिक पानी का प्रयोग करना फुज़ूलखर्ची है।)
विन्तीः हम अपने प्रत्येक देशवासी भाइयों तथा बहनों से विन्ती करते हैं कि वह उस जटिल समस्या का बोध करें जो अधिक मात्रा में जल का प्रयोग करने के कारण पैदा होने वाली है। और उत्तरदायों के हाथ में हाथ देकर इस समस्या के समाधान की ओर अग्रसर हों, क्यों कि जल की सुरक्षा हम सब का कर्तव्य है।
जल के संरक्षण हुतु कुछ नियमः
(1) बाग़ीचों की सींचाई सुबह अथवा संध्या में पतले पाईप से की जाए तो बहुत हद तक पानी की बचत की जा सकती है।
(2) गाड़ियों को पाईप से धोने की बजाए बाल्टी अथवा डोल से धोया जाए।
(3) ब्रष करते समय, चेहरा बनाते समय, बर्तन धुलते समय नल को खुला रखने से बचें। उसी प्रकार काम होने के बाद नल को अच्छी तरह बंद कर दें। यदि प्रयोग किए गए जल को किसी अन्य काम में लाना सम्भव हो तो ला लें।
(4) गिरने वाले थोड़े बुंद से जल का अधिक मात्रा नष्ट हो जाता है। यदि पूरे दिन पानी के बूंद गिरते रहें तो एक दिन में अनुमानतः 27 लीटर पानी नष्ट होता है।
8 टिप्पणियां:
सार्थक पोस्ट...
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विश्व जल दिवस....नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?.
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html
जल का संरक्षण करना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है . बढ़िया सामयिक प्रेरक आलेख .....
nice post.
pls see this also-
http://blogvani.com/blogs/blog/15882
nice post,
bhai cafe men hindi type karna mushkil, vote de diya
allah kare yeh achhi baten sab padhen
bhut achhi batein likhi hai aapne
allaha har musalman ko amla ki toufeek de
aameen
kasim
sim786.blogspot.com
har musalman nahi balki har insan ko amal ki taufiq de. ham pure insan ki mat karte hain.kewal musalman ki nahi. shukriya
बढिया पोस्ट. जल-संरक्षण हमारी ज़िम्मेदारी है, लेकिन जल का ही सबसे ज़्यादा दुरुपयोग हम करते हैं. समय रहते चेतना बहुत ज़रूरी है.
बहुत बढ़िया पोस्ट.
इस्लाम सम्बन्धी जानकारी के लिए मेरे ब्लॉग पर तशरीफ़ लायें.
islamdarshan.blogspot.com
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