शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

" उनके रोज़ा रखने का नियम अति उत्तम है"

इस्लाम में रोज़ा रखने का उद्दश्य मात्र अल्लाह का आज्ञापालन है परन्तु इस का मानव के शरीर पर भी बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ता है जिसे हम निम्न में बयान कर रहे हैं।
(1) मनुष्य के शरीर में मेदा एक ऐसा कोमल अंग है जिसकी सुरक्षा न की जाए तो उस से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार रोज़ा मेदा के लिए उत्तम औषधि है क्योंकि एक मशीन यदि सदैव चलती रहे और कभी उसे बंद न किया जाए तो स्वभावतः किसी समय वह खराब हो जाएगी। उसी प्रकार मेदे को यदि खान-पान से विश्राम न दिया जाए तो उसका कार्यक्रम बिगड़ जाएगा।
(2) डाक्टरों का मत है कि रोज़ा रखने से आंतें दुरुस्त एंव मेदा साफ और शुद्ध हो जाता है। पेट जब खाली होता है तो उसमें पाए जाने वाले ज़हरीले किटानू स्वंय मर जाते हैं और पेट कीड़े तथा बेकार पदार्थ से शुद्ध हो जाता है। उसी प्रकार रोज़ा वज़न की अधिकता, पेट में चर्बी की ज्यादती, हाज़मे की खराबी(अपच), चीनी का रोग(DIABATES) बलड प्रेशर,गुर्दे का दर्द, जोड़ों का दर्द, बाझपन, हृदय रोग, स्मरण-शक्ति की कमी आदि के लिए अचूक वीण है।
डा0 एयह सेन का कहना हैः
"फाक़ा का उत्तम रूप रोज़ा है जो इस्लामी ढ़ंग से मुसलमानों में रखा जाता है। मैं सुझाव दूंगा कि जब खाना छोड़ना हो तो लोग रोज़ा रख लिया करें।"
इसी प्रकार एक इसाई चिकित्सक रिचार्ड कहता हैः
"जिस व्यक्ति को फाक़ा करने की आवश्यकता हो वह अधिक से अधिक रोज़ा रखे। मैं अपने इसाई भाइयों से कहूंगा कि इस सम्बन्ध में वह मुसलमानों का अनुसरण करें। उनके रोज़ा रखने का नियम अति उत्तम है।" (इस्लाम और मेडिकल साइंस 7)
तात्पर्य यह कि उपवास एक महत्वपूर्ण इबादत होने के साथ साथ शारीरिक व्यायाम भी है। सत्य कहा अन्तिम ईश्दूत मुहम्मद सल्ल0 नेः "रोजा रखो निरोग रहोगे"

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

salam alaikum
aur jyada medical benifits ke liye watch this vedio-- http://www.youtube.com/watch?v=U9FhJgQ4ZN8&feature=search

अपनीवाणी ने कहा…

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