सोमवार, 6 सितंबर 2010

यदि बादशाह नहीं देख रहे हैं तो हमारा ईश्वर तो हमें देख रहा है।

इस दुनिया में एक मानव का संरक्षण अति सीमित होता है परन्तु अल्लाह अथवा ईश्वर का ज्ञान असीमित है वह प्रत्येक सृष्टि का संरक्षण कर रहा है। उसके 99 नामों में से चार नामों ही का अवलोकन कर लें
(1) समीअः अर्थात् सुनने वालाः
(2) बसीरः देखने वाला
(3) अलीमः जानने वाला
(4) रक़ीबः संरक्षण करने वाला।
अर्थात् विश्व का सृष्टिकर्ता हमारी बातें सुन रहा है, हमें देख रहा है, हमें जान रहा है तथा हमारा संरक्षण कर रहा है। ऐसी स्थिति में उसके अतिरिक्त किसी अन्य से सम्पर्क रखने की आवश्यकता ही क्या है।
इस्लाम के ख़लीफा उमर रज़ि0 के युग की एक घटना है। लोगों की स्थिति जानने हेतु एक दिन देहात की गलियों से गुज़र रहे थे कि एक घर से आवाज़ आई " बेटी उठो और दूध में पानी मिला दो ताकि बेचते समय दूध ज्यादा हो जाए " बेटी ने कहाः मम्मी! क्या आपको पता नहीं कि ख़लीफा उमर ने दूध में पानी मिलाने से मना किया है। माँ बोलीः "अभी खलीफा थोड़े ना देख रहे हैं, उठ और जल्दी पानी मिला दे" बेटी ने कहाः अम्मी! यदि खलीफा नहीं देख रहे हैं तो हमारा अल्लाह (ईश्वर) तो हमें देख रहा है। फलीफा से तो छुप सकते हैं परन्तु ईश्वर कैसे छुपें। खलीफा उमर ने माँ बेटी की वार्ता सुन ली। खलीफा ने सुबह में अपने सारे बेटों को बोलाया औऱ कहाः मैंने बड़ी नेके लड़की देखी है जिसे मैं अपनी बहू बनाने का इच्छुक हूं। अतः उनके एक बेटे ने उस निर्धन लड़की से विवाह कर लिया। फिर क्या हुआ ? उसी महिला के गर्भ से एक बच्चा पैदा हुआ जिन को इतिहास में खलीफा उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ के नाम से जाना जाता है।

3 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

very nice

बेनामी ने कहा…

matlab ISLAM dharm me us waqt ki aurten bhi be-iman thi

kamaal hai mai samjhata ki sirf hum hi sabse bade be-iman admi hain hai

बेनामी ने कहा…

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us waqt ki islamic aurten