विश्व नाइक मुहम्मद सल्ल0 की जीवनी की एक विशेषता यह है कि आपने जो कुछ कहा सर्वप्रथम करके दिखाया, कोई भी व्यक्ति मुहम्मद सल्ल0 की कथनी और करनी में अन्तर नहीं पा सकता।
मुहम्मद सल्ल0 की पत्नी हज़रत आइशा रज़ि0 से किसी ने आपके आचरण के सम्बन्ध में पूछा तो उन्हों ने उत्तर दिया " आप सल्ल0 का आचरण स्वयं क़ुरआन था " अर्थात् मुहम्मद सल्ल0 क़ुरआन के चलता फिरता आदर्श थे। इस लेख में हम आपको बताने का प्रयत्न करेंगे कि मुहम्मद सल्ल0 क़ुरआन के व्यवहारिक आदर्श कैसे थे ? सब से पहले हम क़ुरआन की आयत पेश करेंगे फिर उसके अंतर्गत मुहम्मद सल्ल0 की पवित्र जीवनी से आपके आचरण के कुछ उदाहरण पेश करेंगे जिन से सामान्य पाठक के समक्ष यह बात खुल कर आ जाएगी कि आपकी करनी और कथनी पूर्ण रूप में कुरआन के अनुसार थी।
मुहम्मद सल्ल0 की पत्नी हज़रत आइशा रज़ि0 से किसी ने आपके आचरण के सम्बन्ध में पूछा तो उन्हों ने उत्तर दिया " आप सल्ल0 का आचरण स्वयं क़ुरआन था " अर्थात् मुहम्मद सल्ल0 क़ुरआन के चलता फिरता आदर्श थे। इस लेख में हम आपको बताने का प्रयत्न करेंगे कि मुहम्मद सल्ल0 क़ुरआन के व्यवहारिक आदर्श कैसे थे ? सब से पहले हम क़ुरआन की आयत पेश करेंगे फिर उसके अंतर्गत मुहम्मद सल्ल0 की पवित्र जीवनी से आपके आचरण के कुछ उदाहरण पेश करेंगे जिन से सामान्य पाठक के समक्ष यह बात खुल कर आ जाएगी कि आपकी करनी और कथनी पूर्ण रूप में कुरआन के अनुसार थी।
सच्चाई
क़रआन कहता हैः "ऐ ईमान वालो! अल्लाह से डरो और सच्चों के साथ रहो" इसका आदर्श मुहम्मद सल्ल0 की जीवनी में देखें कि आपके अंदर इतनी सच्चाई थी कि लोगों ने आपको सादिक (सत्यवादी) की उपाधि दे रखी थी।
न्याय और अमानत
क़ुरआन कहता हैः अल्लाह तआला तुम्हें ताकीदी आदेश देता है कि अमानत वालों की अमानतें पहुंचाओ और जब लोगों का फैसला करो तो न्याय से फैसला करो।
इसका आदर्श मुहम्मद सल्ल0 की जीवनी में देखें कि आपके अनदर ऐसी अमानतदारी थी कि लोगों ने आपका नाम ही अमीन अर्थात् अमानतदार रख दिया था। मक्का में आपकी आमानतदारी की इतनी चर्चा थी कि लोग अपने सामानों की सुरक्षा हेतु अपना सामान आपके पास रखा करते थे। यहाँ तक कि जिस समय आपको आपके मात्रभूमि से निकाला जा रहा था ऐसी स्थिति में भी अपने शत्रुओं का सामान उनके हवाले करने के लिए हज़रत अली को अपने बिस्तर पर सुला दिया और आप मक्का से निकल गए।
और न्याय के सम्बन्ध में यह प्रसिद्ध घटना पेश कर देना काफी है कि बनू मख़ज़ूम की एक महिला चोरी की, वह ऊंचे वंश की थी इस लिए कुरैश उसके सम्बन्ध में बहुत चिंतित हुए, लोगों ने उसामा रज़ि0 को आपके पास उसके सम्बन्ध में बात करने के लिए भजा तो आपने फरमायाः क्या तुम अल्लाह के हुदूद में सेफारिश करते हो ? फिर खड़े हुए भाषण दिया और फरमायाः ऐ लोगो! तुम से पहली उम्मतें इसी लिए पथभ्रष्ट हुईं कि जब उनमें सज्जन लोग चोरी करते तो उन्हें छोड़ देते थे और जब तुच्छ व्यक्ति चोरी करता तो उस पर हद जारी करते थे। अल्लाह की क़सम! यदि मेरी बेटी फातमा ने भी चोरी की होतो तो मैं उसका हाथ काट देता।
अभी इतना ही .... शेष अगले पोस्ट में...
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