शनिवार, 24 सितंबर 2011

गणेश जी फिर चर्चा में

श्रीगंगानगर- कौन जाने किसने किसको पहला फोन करके या मौखिक ये कहा, गणेश जी की मूर्ति के सामने घी का दीपक जला कर तीन मन्नत मांगो पूरी हो जाएगी। उसके बाद तीन अन्य लोगों को ऐसा करने के लिए कहो। बस उसके बाद शुरू हो गया घर घर में गणेश जी के सामने दीपक जलाने,मन्नत मांगने और आगे इस बात को बताने का काम। .... 1994 के आसपास गणेश जी को दूध पिलाने की बात हुई थी। देखते ही देखते मंदिरों में लोगों की भीड़ लग गई थी। लोग अपना जरूरी काम काज छोडकर गणेश जी को दूध पिलाने में लगे थे।
यह सूचना मैंने 

2 टिप्‍पणियां:

dinesh aggarwal ने कहा…

मान्यवर मेरे साथ भी ऐसा हुआ था। मेरे सभी
रिश्तेदारों एवं मित्रों से तो गणेश जी ने दूध पी
लिया, किन्तु मुझसे नहीं।
लोग मुझे नास्तिक एवं काफिर कहने लगे, मैंने
इस विषय पर गहन चिन्तन किया तथा सभी धर्म-
ग्रंथों का सामान्य अध्ययन किया। जिससे मुझे
ज्ञात हुआ कि जो तर्क एवं बुद्धि के आधार पर सत्य
को स्वीकार करे, वह सच्चा नास्तिक एवं काफिर
है तथा जो बिना तर्क एवं बुद्धि के किसी भी बात
को इसलिये स्वीकार लेते हैं कि वह हमारे धर्म या
मजहब में है या हमारे धर्म गुरू या हमारे पूर्वजों ने
कही है। हमें वह हर हाल में स्वीकार करना है,चाहे
वह सही हो या गलत, धार्मिक या आस्तिक हैं।
यदि मेरी सोच गलत हो तो कृपया मार्ग-दर्शन
करें। आपका आभार व्यक्त करूँगा।

Safat Alam Taimi ने कहा…

आपने बिल्कुल सही कहा कि आज लोग सांसारिक कामों में बड़ी बुद्धि खपाते हैं परन्तु धर्म के मआमले में अंथविश्वास के शिकार हैं। बल्कि गर्व से कहते हैं कि धर्म के सम्बन्ध में बुद्धि को त्याग दो... पर इस्लाम हमें सब से पहले बुद्धि से काम लेने की ताकीद करता है। आप इस्लाम का कोई भी आदेश बुद्धि के विपरीत नहीं पाएंगे। इस्लाम का अध्ययन कर के देखें।