इस्लाम जीवन बिताने की एक प्रणाली है, जीवन के हर भाग में
मार्गदर्शन करता है। इस में किसी प्रकार की कमी औऱ ज़्यादती की कोई गुंजाइश नहीं।
कुरआन कहता हैः "आज मैंने तुम्हारा धर्म पूरा कर दिया , तुम पर अपनी नेमत
पूर्ण कर दी, और तुम्हारे लिए इस्लाम को धर्म के रूप में पसंद कर किया। (सूरःअल-माइदा 3) यह
धर्म इतना ही पुराना है जितना कि स्वयं मनुष्य है। इस्लाम प्रत्येक
मनुष्यों का धर्म है जो पहले व्यक्ति आदम अलैहिस्सलाम से शुरू हुआ, हर युग में संदेष्टा
आते रहे, लेकिन जब दुनिया सातवीं शताब्दी ईसवी में अपनी जवानी को पहुँच गई तब अल्लाह ने
अन्तिम नबी मुहम्मद सल्ल. को विश्व नायक बनाकर भेजा और आपके लाए हुए जीवन व्यवस्था
को महाप्रलय के दिन तक के लिए पूर्ण रूप में सुरक्षित कर दिया।
जब अपनी पूरी जवानी
पे आ गई दुनिया
जहां के वास्ते एक
आख़िरी प्याम आया
इस्लाम की सार्वभौमिकता जीवन के विभिन्न भागों
में है। यह जीवन के आध्यात्मिक, आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, नैतिक तात्पर्य यह कि प्रत्येक भागों में हमारा मार्गदर्शन करता है। समय का समावेश
देखें कि इस्लाम हर युग के लिए आया, जगह का समावेश देखें कि इस्लाम का संदेश सारी पृथ्वी
को शामिल है। व्यक्तियों का समावेश देखें कि यह सभी व्यक्तियों, सभी जातियों और सभी
उम्र के लोगों के लिए है। इस्लामी कानून का समावेश
देखें कि यह धर्म और जाति का फर्क़ किए बिना प्रत्येक लोगों के बीच न्याय का मआमला
करता है। हर धर्म के मानने वालों को अपने धर्म के पालन की पूरी स्वतंत्रता देता
है। अतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध का आदेश देता है , मानव जीवन को संतुलित करने की कोशिश करता है। समय की
बहुमूल्यता की ओर ध्यान दिलाता है। ज्ञान में वृधि लाने का आदेश देता है। हलाह
माध्यम से माल बढ़ाने पर उभारता और इसके लिए अवैध तरीक़ा अपनाने से रोकता है। इसकी
पाबंदी से समाज और देश में शान्ति का वातावरण तो बनता ही है स्वयं व्यक्तिगत जीवन
भी शान्ति से परिपूर्ण हो जाता है।
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