रविवार, 4 अगस्त 2019

” जैसी संगत वैसी रंगत ”


दोस्ती हर इंसान की प्राकृतिक और सामाजिक आवश्यकता है, एक व्यक्ति अपने मित्रों से दिल की बातें शेयर कर पाता है, उनके के साथ बेहतर समय बिताता है और उनकी संगत से बहुत कुछ सीखता है। एक समय था दोस्ती डाइरेक्त होती थी, अब सोशल मेडिया के प्रचलन से In Direct दोस्ती होने लगी है, जैसे फेसबुक और ट्वीटर आदि की दोस्ती। 
एक आदमी अपने दोस्त के रास्ते पर होता है, अगर दोस्त अच्छा होगा तो वह भी अच्छा होगा और अगर दोस्त बुरा होगा तो वह भी बुरा होगा, इसी लिए कहते हैं:
” मुझे बता दो कि तुम्हारा दोस्त कौन है मैं बता दूंगा कि तुम कौन हो”
और कहते हैं
” जैसी संगत वैसी रंगत ”
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रवचनों में आता हैः
“एक आदमी अपने मित्र के धर्म पर होता है, इस लिए आदमी को देख लेना चाहिए कि वह किससे दोस्ती कर रहा है ” ( अल-जामि अस्सग़ीरः 4516, हसन )

एक शराबी से पूछें कि उसने शराब का सेवन कैसे शुरू किया? एक अश्लीलकर्मी से पूछें कि उसे अश्लीलता की लत कैसे लगी, एक अपराधी से पूछें कि उसके जेल जाने का कारण क्या बना, एक नशाखोर से पूछें कि उसे नशे की आदत कैसे लगी, सभी का जवाब एक ही होगा कि बुरी संगत ने उन्हें यहां तक ​​पहुंचाया। अल्लाह के रसूल सल्ल. ने एक उदाहरण द्वारा अच्छी और बुरी दोस्ती को प्रकट करते हुए कहा:
“अच्छे और बुरे दोस्त की मिसाल खुशबू बेचने वाले और भट्टी धूंकने वाले के जैसे है कि खुशबू बेचने वाला या तो तुझे ख़ूशबू में से कुछ दे देता है या तुम उस से खरीद लेते हो या उसके पास रहने से तुझे खुशबू मिलती है, और भट्टी धूंकने वाला या तो तेरे कपड़े जला डालेगा या तुझे उसके पास गंध सूंघने को मिलेगा।” ( सही बुख़ारीः 5534 सही मुस्लिमः 2628)
संगत का प्रभाव सब से अधिक बच्चों पर पड़ता हैः
अच्छी या बुरी संगत से सबसे अधिक प्रभावित हमारे बच्चे होते हैं क्यों कि बाल्यावस्था से युवावस्था तक उनका दोस्तों से अधिक संबंध होता है, यह सच्चाई है कि हम अपने बच्चों को बुरी संगत से बहुत कम बचा पाते हैं हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों पर उनके माता पिता, बड़े भाई बहिन और रिश्तेदारों का असर केवल चालीस प्रतिशत होता है,बच्चों पर 60 प्रतिशत प्रभाव उनके मित्रों का होता है. मित्र अच्छा मिला तो बच्चा भी अच्छा बनेगा और यदि मित्र बुरा मिला तो बच्चा भी बुरा बनेगा।.
यदि कोई यह दावा करे कि मेरे बच्चे बुरे बच्चों के साथ रहते हैं लेकिन उनकी बुराई उन पर कोई असर न डाल सकी है तो मैं कहता हूँ कि वह झूठा है। ऐसा हो नहीं सकता कि एक बच्चा बुरे बच्चों के साथ रह कर अच्छा बन सके, अथवा उन से प्रभावित न हो।
अच्छी संगत क्यों नहीं ?
बुरी संगत का परिणाम हमें दुनिया में भी भुगतना पड़ेगा और आखिरत में नरक की पीड़ा के रूप मैं भुगतने वाले हैं. बुरी संगत मानो बुरे परिणाम तक पहुंचना है. और अच्छी संगत अच्छे परिणाम तक।
फिर आपने जो संगत अपनाई है उसका उद्देश्य यही है ना कि आपको शान्ति मिल सके, सवाल यह है कि क्या सुकून बुरे लोगों की संगति में, इंटरनेट पर अश्लील दृश्यों के अवलोकन से, मदिरापान के सेवन में और शराब के अड्डे में है? नहीं और कदापि नहीं. सुकून का सृष्टा हम और आप नहीं बल्कि हमारा मालिक है, तो फिर हमें बताइए कि कया वह चाहेगा कि शान्ति ऐसे लोगों को प्रदान कर दे जो उसके अवज्ञाकारी हैं? नहीं, बल्कि सुकून से उन्हें सम्मानित करता है जो उसके आज्ञाकारी हैं। फिर यहाँ केवल सांसारिक खुशी और भोग विलास का सवाल नहीं महाप्रलय के दिन की मुक्ति उसी संगत पर आधारित है, और यह तभी प्राप्त हो सकती है जब आप बुरी संगत छोड़ेंगे।
कुछ लोग यह कहते हुए नहीं थकते कि नेक बनना चाहता हूँ, बुराई से दूर होना चाहता हूँ, लेकिन नहीं बन पाता. जानते हैं क्यों नहीं बन पाते? इरादा तो है, दिल में बुराई का एहसास भी है लेकिन बुरी संगत नहीं छुटी जिसके कारण नेक काम करना या बुराई से बचना संभव नहीं हो पा रहा है।
आपने सहीह बुखारी की वह प्रसिद्ध हदीस जरूर सुनी होगी कि सौ व्यक्तियों का हत्यारा जब एक विद्वान से अपनी समस्या पूछता है कि क्या 100 व्यक्तियों को क़त्ल करने के बाद भी मेरे लिए पश्चाताप और तौबा का मौक़ा है तो आलिम जवाब देता है कि हां तेरे लिए पश्चाताप का अवसर है, तेरी तौबा के रास्ते में आखिर कौन आड़े आ सकता है. लेकिन तुम जिस क्षेत्र में रहते हो उसे छोड़ कर फलाँ जगह चले जाओ जहाँ नेक लोग रहते हैं ताकि उनके साथ रह कर अल्लाह की इबादत कर सको।
यह वास्तव में सही मार्गदर्शन और अच्छी संगत का प्रभाव है कि संगत अच्छी होगी तो आप अच्छा बन सकेंगे, और संगत अच्छी नहीं होगी तो लाख चाहने के बावजूद आप अच्छा नहीं बन सकते।

बुरे दोस्तों को Delete कीजिएः
आईए संकल्प करें, कागज और क़लम उठायें और अपने दोस्तों की सूची तैयार करें, उनमें जो अनावश्यक हों, जो आपका समय बर्बाद करते हों, जो आप को बुराइयों पर उकसाते हों, जो आपकी इबातों में बाध्य बनते हों, उनको अपने दोस्तों की सूची से Delete करें. और उनसे दोस्ती रखें जो अच्छे हों, जो आपको भलाई के लिए आकर्षित करते हो, जो आपको बुराई से रोकते हों, जो अच्छे व्यवहार के हों, जो समझदार हों मूर्ख न हों, ऐसे लोगों से आपकी संगत होगी तो दुनिया में अच्छे रास्ते पर चलेंगे और क़्यामत के दिन अल्लाह की छाया मिलेगी जिस दिन उसकी छाया के अलावा कोई दूसरी छाया न होगी, फिर आख़िरत के सारे चरण आसान होते जाएंगे। अब हम देखना चाहते हैं कि कितने भाई ऐसे हैं जो बुरे दोस्तों की संगत समाप्त करने का संकल्प करते हैं। (प्रेमवाणी)

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