यह भुमि किसी इनसान की नही बल्कि ईश्वर की है जिसने इनसान को इस दुनिया मे बसाया है सब से पहले इनसान आदम और हव्वा है जिनको हिन्दुओ के हाँ मनु और सलरोपा कहा जाता है, इसाइयो के हाँ एदम और इव यह जगत के पहले इनसान है जिनका धर्म इस्लाम (सनातन धर्म) था इस लिए यह कहना कि भारत राम का है सर्वथा गलत है --- आज लोग जाति और धर्म के आधार पर एक दूसरे से अलग हो रहे है लेकिन कभी वह यह नही सोचते कि सारे जगत का स्वमी केवल एक ईश्वर है, एक ही माता पिता से इनसान का वजूद हुआ है, एक प्रकार के विर्य ही से इनसान पैदा होता है, इतनी समानता के बावजूद क्या इनसान का धर्म अलग अलग हो सकता है?? इतिहास मे केवल मुहम्मद स्ल्ल० ऐसे इनसान है जिन्होने विश्व बन्धुत्व का नारा लगाया, सारे इनसानो को समान क़रार दिया, और केवल एक ईश्वर की पुजा की ओर सारे मानव को बुलाया
एक इसाई वैज्ञानिक Dr. Michael H.Hart ने अपनी पुस्तक The 100 (New York 1978) मे लिखा है कि " आप इतिहास के मात्र व्यक्ति है जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे धार्मिक स्तर पर भी और सांसारिक स्तर पर भी"
आखिर क्यो एक इसाई मुहम्मद सल्ल० को दुनिया के क्रान्तिकारी व्यक्तियो मे प्रथम स्थान दे रहा है ? इसलिए कि उनहोने अपनी जाति की ओर नही बुलाया, अपनी पूजा करने को नही कहा, हालाँकि उनको विभिन्न चमत्कारियाँ दी गई थी, क़ुरआन भी एक चमत्कार है जो ईश्वाणी है और चुनौति देता है कि कोई मानव उसके समान एक श्लोक भी पेश नही कर सकते (सुर्:२ आयत २४))
मुहम्मद सल्ल्० ने चाँद की ओर इशारा किया तो चाँद दो टूकड़े हो गया जिसका समर्थन नील आर्म्स टृंग जैसे वैज्ञानिक तथा उनके सहयोगियो ने किया है जब कि वह चाँद पर ग्ए थे .
इतनी चमत्कारियो के बावजूद उन्होने मरते मरते समय कहा कि लोगो मेरी पूजा मत करना मत करना, मै एक मानव मात्र हूँ, मेरे अन्दर कोई ईश्वरीय गुण नही ------------ आज केवल इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमे केवल एक ईश्वर की पूजा की जाती है जो ईश्वर केवल मुसलमानो का स्वामी नही बल्कि सारे जगत का स्वामी है ............... इस्लाम हमे बताता है कि जिसका जो पद है उसे उसी पद पर रखा जाए, मानव कभी इश्वर नही हो सकता , इसलिए मानव के रूप मे जो हो इस्लाम मे उसकी पूजा महापाप है
एक इसाई वैज्ञानिक Dr. Michael H.Hart ने अपनी पुस्तक The 100 (New York 1978) मे लिखा है कि " आप इतिहास के मात्र व्यक्ति है जो अन्तिम सीमा तक सफल रहे धार्मिक स्तर पर भी और सांसारिक स्तर पर भी"
आखिर क्यो एक इसाई मुहम्मद सल्ल० को दुनिया के क्रान्तिकारी व्यक्तियो मे प्रथम स्थान दे रहा है ? इसलिए कि उनहोने अपनी जाति की ओर नही बुलाया, अपनी पूजा करने को नही कहा, हालाँकि उनको विभिन्न चमत्कारियाँ दी गई थी, क़ुरआन भी एक चमत्कार है जो ईश्वाणी है और चुनौति देता है कि कोई मानव उसके समान एक श्लोक भी पेश नही कर सकते (सुर्:२ आयत २४))
मुहम्मद सल्ल्० ने चाँद की ओर इशारा किया तो चाँद दो टूकड़े हो गया जिसका समर्थन नील आर्म्स टृंग जैसे वैज्ञानिक तथा उनके सहयोगियो ने किया है जब कि वह चाँद पर ग्ए थे .
इतनी चमत्कारियो के बावजूद उन्होने मरते मरते समय कहा कि लोगो मेरी पूजा मत करना मत करना, मै एक मानव मात्र हूँ, मेरे अन्दर कोई ईश्वरीय गुण नही ------------ आज केवल इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसमे केवल एक ईश्वर की पूजा की जाती है जो ईश्वर केवल मुसलमानो का स्वामी नही बल्कि सारे जगत का स्वामी है ............... इस्लाम हमे बताता है कि जिसका जो पद है उसे उसी पद पर रखा जाए, मानव कभी इश्वर नही हो सकता , इसलिए मानव के रूप मे जो हो इस्लाम मे उसकी पूजा महापाप है
2 टिप्पणियां:
Dharm ko kisane banaya?
Vikash साहिब! आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने हमारे ब्लौग का दर्शन किया और अपनी बहुमूल्य टिप्पणी डाली।
आपने जो यह पूछा कि धर्म को किसने बनाया ? यह सवाल बहुत ही अच्छा है आज इसी तथ्य को न समझने के कारण हमने अपने अपने समाज के रीतिरिवाजों का पालन कर रहे हैं।
देखिए ईश्वर ने मानव को पैदा किया तो चलने का नियम भी बताया, जो नियम एक ही था। और इस धरती को परीक्षास्थल बनाया ताकि मानव ईश्वर के उतारे हुए धर्म का पालन करके मुक्ति पा सके। परन्तु मानव ने अपनी समझ से उसके अन्दर हेरफेर करना शुरू किया जिसके कारण समाज में विभिन्न धर्म उत्पन्न हो गए।
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