इस्लाम में अल्लाह के अधिकार के तुरन्त बाद मानव के अधिकार के पालन का आदेश
दिया गया है। क़ुरआन कहता हैः "नेकी और भलाई के काम में एक
दूसरे की सहायता करो।" (अल-माईदा 2")मुहम्मद सल्ल. की
जीवनी का अध्ययन करें तो पाएंगे कि आप बाल्यावस्था से ही जनसेवा में ग्रस्त रहे, जब चालीस वर्ष की आयु में मुहम्मद सल्ल.
पर हिरा की गुफा में प्रथन वह्य अवतरित हुई और चिंतित होकर अपनी पत्नी खदीजा
रज़ि. के पास आए और उनसे पूरी घटना सुनाते हुए कहा कि मुझे अपनी जान का भय हो
गया है। उस अवसर पर खदीज़ा ने साहस दिलाते हुए आपके जन सेवा को गिनाया कि अल्लाह
आपको कदापि अपमानित न करेगा कि आप रिश्तेदारों का ख्याल रखते हैं, निर्धनों का बोझ उठाते हैं, मेहमानों का सत्कार करते हैं और
कठिनाइयों के मारों का साथ देते हैं। मानो खदीजा यह कहना चाहती थीं कि जिस महान
व्यक्ति के यह गुण हों वह अपमानित कैसे हो सकते हैं।आपने जन सेवा के महत्व को एक
शब्दों में समेट दिया है कि "लोगों में
सब से श्रेष्ठ वह व्यक्ति है जो लोगों के लिए अधिक लाभदायक हो।" (सहीह अल-जामिअ)
यहाँ तक कि आपने यह फरमा दिया कि:"जिस के पास अपनी आवश्यकता
से अधिक सवारी है वह एहसान के तौर पर ऐसे व्यक्ति को दे दे जिसके पास सवारी नहीं
है।" (मुस्लिम)
बात यहीं पर स्माप्त नहीं होती बल्कि
इस्लाम ने जन सेवा पर विभिन्न प्रकार के पुण्य भी रखा इसी लिए अल्लाह के रसूल
सल्ल. ने फरमायाः "जो अपने भाई की ज़रूरत पूरी
करने में लगा हो अल्लाह उसकी ज़रूरत पूरी करता है, जो कोई
किसी मुसलमान की परेशानी को दूर करता है अल्लाह उस से क्यामत के दिन की
कठिनाइयों में से बड़ी कठिनाई को दूर करेगा।" (बुखारी, मुस्लिम)
इस्लाम ने तो पशु पक्षियों पर भी एहसान
करने पर सवाब रखा हैः अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमायाः "एक बार एक व्यक्ति रास्ते पर चला जा रहा था कि उसे सख्त प्यास लगी, उसने एक
कुंवा पाया तो उसमें उतर कर उसने पानी पिया, फिर बाहर निकल आया तो देखा
कि एक कुत्ता प्यास के मारे ज़बान बाहर निकले हांपते हुए कीचड़ चाट रहा है। उस
व्यक्ति ने सोचा कि इस कुत्ते को भी उसी तरह प्यास लगी हुई है जिस तरह मुझे लगी
थी। अतः वह दोबारा कुंवे में उतरा और अपना मोज़ा पानी से भरा और उसे अपने मुंह
से पकड़े ऊपर चढ़ आया और कुत्ते को पानी पिलाया। अल्लाह ने उसके इस नेक काम के
कारण उसके पापों को क्षमा कर दिया। (बुखारी, मुस्लिम)
एक सच्चे मुसलमान की यह पहचान है कि
उसके द्वारा दूसरों को लाभ पहुंचे, उसका अस्तित्व मानवता
के लिए लाभदायक हो. अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमाया: "अल्लाह के पास सबसे प्रिय व्यक्ति वह है जो लोगों
को सबसे अधिक लाभ देने वाले हो अल्लाह के पास सबसे पसंदीदा प्रक्रिया यह है कि
किसी मुसलमान के दिल में खुशी की लहर दौड़ा दो, या किसी की परेशानी दूर
कर दो, या उसका कर्ज़ अदा कर दो, या उसकी भूख मिटा दो, मैं किसी मुसलमान की जरूरत
पूरी करने के लिए चलूं, यह मेरे लिए मस्जिद
(नबवी) में एक महीना एतकाफ में बैठने से बेहतर है ".
(तबरानीःसहीह)
इसके विपरीप एक दूसरा परिणाम देखिए रसूल
सल्ल. ने फरमाया कि एक महिला को एक बिल्ली के
कारण अज़ाब दिया गया। उसने बिल्ली को बांध रखा था, उसे न खिलाती थी और न खोलती
थी कि ज़मीन के कीड़े मकूड़े खा लेती, जिस से वह मर गई अतः इसके
कारण वह नरक में गई। (बुखारी, मुस्लिम)
रास्ते से कष्टदायक वस्तु को हटा देना
इस्लाम की दृष्टी में इतना बड़ा कार्य है कि सही मुस्लिम की रिवायक के अनुसार
अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमायाः" मैं ने एक
व्यक्ति को जन्नत में फिरते देखा ( उसके जन्नत में प्रवेश करने का कारण यह था
कि) उसने वृक्ष अथवा उसकी टेहनी को काट दिया था जो रास्ते की बीच में थी और
लोगों को इसके कारण कष्ट होता था। "
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हमारे देश भारत में हर धर्म एवं पथ के मानने वालों का अनेकता में एकता का प्रदर्शन करना हर्ष का विषय है परन्तु खेद की बात यह है कि एक दूसरे के प्रति हमारा ज्ञान सुनी सुनाई बातों, दोषपूर्ण विचार तथा काल्पनिक वृत्तांतों पर आधारित है। आज पारस्परिक प्रेम हेतु धर्म को उसके वास्तविक स्वरूप में जानने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य के अन्तर्गत यह ब्लौग आपकी सेवा में प्रस्तुत है। हमें आशा है कि पाठकगण निष्पक्ष हो कर अपनी भ्रांतियों को दूर कर के सही निर्णय लेंगे।
बुधवार, 13 मार्च 2013
इस्लाम जन-सेवा का आदेश देता है
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1 टिप्पणी:
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
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